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क्या BSP को वॉकओवर है यूपी में BJP की राज्यसभा लिस्ट?

बीजेपी ने यूपी में 9 प्रत्याशी जीतने की स्थिति में होने के बाद भी आठ प्रत्याशी उतारे हैं, जिसे बसपा को वॉकओवर देने का दांव माना जा रहा है. बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में अपने कोर वोटबैंक का खास ख्याल रखा है और जातीय समीकरण साधने के साथ-साथ नए चेहरों को भी मौका दिया है. यही नहीं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए अमेठी के राजा संजय सिंह को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का प्रत्याशी नहीं बनाया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने यूपी में उतारे 8 राज्यसभा प्रत्याशी
  • बीजेपी ने जातीय समीकरण साधने का चला दांव
  • बीजेपी क्या बसपा को यूपी में वॉकओवर देगी?

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने आठ प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने यूपी में 9 प्रत्याशी जीतने की स्थिति में होने के बाद भी आठ प्रत्याशी उतारे हैं, जिसे बसपा को वॉकओवर देने का दांव माना जा रहा है. बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में अपने कोर वोटबैंक का खास ख्याल रखा है और जातीय समीकरण साधने के साथ-साथ नए चेहरों को भी मौका दिया है. यही नहीं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए अमेठी के राजा संजय सिंह को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का प्रत्याशी नहीं बनाया है. 

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यूपी में 9 नवंबर को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने सोमवार देर रात 8 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की. इसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह, पूर्व डीजीपी बृजलाल, नीरज शेखर, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, बीएल शर्मा और सीमा द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया गया. बीजेपी ने दो राजपूत, दो ओबीसी, दो ब्राह्मण, एक दलित और एक सिख समुदाय के प्रत्याशी के जरिए जातीय समीकरण साधने की कवायद की है.

बृजलाल के जरिए दलितों को संदेश  
बीजेपी ने जातीय संतुलन साधने के साथ बृजलाल, गीता शाक्य और बीएल वर्मा जैसे नये चेहरों को भी मौका दिया है. सेवानिवृत डीजीपी बृजलाल दलित समुदाय से आते हैं और मायावती के करीबी माने जाते थे, लेकिन उन्होंने अपना सियासी सफर बसपा की बजाय बीजेपी के साथ शुरू किया. हाल ही में हाथरस मामले में जिस तरह से विपक्ष ने बीजेपी को दलित राजनीति के नाम पर घेरने की कोशिश की थी, ऐसे में पार्टी ने बृजलाल को राज्यसभा भेजकर दलित समुदाय को सियासी संदेश देने की कोशिश की है.

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ब्राह्मण समुदाय को साधने का दांव
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण राजनीति को लेकर विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावर है. ऐसे में बीजेपी ने यूपी से राज्यसभा में दो ब्राह्मण उम्मीदवारों को भेजने का दांव चला है, जिसमें पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे और पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी का नाम शामिल है. दुबे यूपी में कल्याण सरकार में वित्त राज्य मंत्री रहे हैं और उनकी गिनती आगरा के वरिष्ठ भाजपा नेताओं में होती है. हालांकि, मूलरूप से वे बलिया के रहने वाले हैं और सीतापुर, अयोध्या और शाहजहांपुर में आरएसएस के जिला प्रचारक रहे हैं. वहीं, सीमा द्विवेदी जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर से दो बार विधायक रह चुकी हैं. 

ठाकुर समुदाय से दो प्रत्याशी
बीजेपी ने राजपूत समुदाय से राज्यसभा के दो प्रत्याशी बनाए हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री, महासचिव तथा केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरुण सिंह के साथ पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को फिर से राज्यसभा में भेजने का फैसला लिया है. नीरज शेखर ने पिछले साल सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था. वहीं, डॉ. संजय सिंह के राज्यसभा जाने के अरमानों पर पानी फिर गया है. संजय सिंह ने पिछले साल कांग्रेस के साथ राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजेगी, लेकिन सूबे में जिस तरह से ठाकुरों को लेकर बीजेपी निशाने पर है. ऐसे में दो से ज्यादा प्रत्याशी बनाने पर सवाल खड़े होते, लगता है यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का प्रत्याशी नहीं बनाया. 

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ओबीसी समुदाय को साधने का दांव
बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा प्रत्याशी के चयन का फैसला किया है. बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से दो राज्यसभा कैंडिडेट बनाए हैं. औरैया की जुझारू नेता गीता शाक्य के जरिए पार्टी नेतृत्व ने महिला और पिछड़ा कोटा पूरा करने के साथ बुंदेलखंड को भी प्रतिनिधित्व प्रदान किया है. ऐसे लोध समुदाय से आने वाले बीएल वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है. वर्मा पूर्व सीएम कल्याण सिंह के करीबी माने जाते हैं और यूपी में लोध समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. इस तरह से बीजेपी ने सूबे के पिछड़ा वर्ग को भी सियासी संदेश देने की कवायद की है.  

बीजेपी ने क्या बसपा को वॉकओवर दिया?
बीजेपी ने सूबे में आठ राज्यसभा कैंडिडेट उतारे हैं जबकि पार्टी 9 सदस्य जिताने की स्थिति में थी. सपा और बसपा के मैदान में एक-एक उम्मीदवार उतारने के बाद अब कुल 10 प्रत्याशी मैदान में होंगे. ऐसे में कोई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में नहीं आता है तो सभी का निर्विरोध निर्वाचन तय है. हालांकि, पहले माना जा रहा था कि बीजेपी 9 प्रत्याशी उतारेगी, लेकिन 8 नामों का ऐलान करके सभी को चौंका दिया है. इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने बीएसपी के उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए अपनी एक सीट खाली छोड़ी है.

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दरअसल, यूपी में बीएसपी के पक्ष में समीकरण न होते हुए भी पार्टी की तरफ से रामजी गौतम ने नामांकन दाखिल किया है, लेकिन बीजेपी के दांव से अब राज्यसभा में बीएसपी की राह आसान लग रही है. बीजेपी उम्मीदवार की लिस्ट जारी होने के बाद यूपी कांग्रेस ने ट्वीट किया, 'बीजेपी की हालत पतली है. बीएसपी उपचुनावों में बीजेपी को वोट ट्रांसफर करे इसके लिए बीएसपी-बीजेपी के छुपन-छुपाई गठबंधन का ऐलान हुआ. यूपी विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर जीत के लिए उम्मीदवार को 36 वोटों की आवश्यकता होगी. बीजेपी के आठ उम्मीदवारों की जीत तो तय है लेकिन पार्टी ने अभी अपने सारे पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में सभी की नजरें मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन पर टिकी है और अगर निर्दलीय कोई नहीं उतरता है तो फिर सभी का निर्विरोध निर्वाचन तय है. 

 

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