उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का रण अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. मैनपुरी, रामपुर, खतौली जैसी सीटों पर उपचुनाव के नतीजे सामने आने वाले हैं. एक लोकसभा की सीट और दो विधानसभा की सीटों को लेकर बीजेपी और सपा के बीच अब तक कड़ी लड़ाई देखने को मिली है. जहां खतौली और रामपुर में बीजेपी जीत की उम्मीद कर रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी के लिए मैनपुरी लोकसभा सीट पर यह चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई माना जा रहा है.
आरोप-प्रत्यारोप थमे, नतीजे की घड़ी
नेताजी मुलायम सिंह के देहांत के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतार कर इसे साख का सवाल बना दिया है. वहीं रघुराज शाक्य बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पूरे चुनाव पर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का बड़ा आरोप लगाया और वहीं मतदान वाले दिन भी वोटरों को बाहर ना निकलने देने का दबाव भी प्रशासन पर लगाया था. यहां तक कि नतीजों से ठीक पहले रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर रामपुर में उपचुनाव रद्द कराने की मांग की है. लेकिन अब नतीजे की घड़ी है और मैनपुरी की लड़ाई दोनों पार्टियों के लिए बेचैनी का विषय भी बन गई है.
ऐसे में दोनों पार्टियों के लिहाज से उपचुनाव के नतीजे प्रदेश में नया इतिहास बनाने जा रहे हैं. अगर बीजेपी इन चुनावों में जीत दर्ज करती है तो ये लगातार उसकी सपा के खिलाफ तीसरी जीत होगी तो वहीं मैनपुरी और रामपुर में जीत समाजवादी पार्टी के लिए भी अपने गढ़ को बनाए रखने में एक उपलब्धि मानी जाएगी.
बीजेपी जीत के लिए क्यों आश्वस्त?
इस समय बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आजतक से बातचीत में कहा कि मैनपुरी में भी कमल खिलेगा और परिवारवाद की लड़ाई को खत्म किया जाएगा. तीनों सीटों पर जीत का दावा ठोक रहे बीजेपी के नेता अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि जिस नेता ने अपनी पत्नी को निर्विरोध जिताने के लिए हर हथकंडा अपनाया, वह अगर हम पर सवाल उठा रहे हैं तो यह हैरत की बात है.
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बीजेपी अच्छे परिणाम की उम्मीद कर रही है, जो सपा के अध्यक्ष सीएम रहते हुए कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से अपनी पत्नी का निर्विरोध निर्वाचन कराया वह सवाल कैसे कर सकते हैं. बीजेपी धांधली नहीं करती बल्कि लोकतंत्र पर भरोसा करती है, जनता के बीच में जाकर आशीर्वाद लिया है और खोने के लिए जो कुछ भी है वह सपा का है, पाने वाली केवल बीजेपी ही है.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के दूसरे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक भी उपचुनाव में बीजेपी की जीत का दावा करते हुए इसे सपा का अंत करार दे रहे हैं. पाठक ने कहा कि ये लोकतंत्र है, बीजेपी ने चुनाव लड़ा है और हम जीतेंगे, यूपी उपचुनाव में भी बीजेपी की ही जीत होगी. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी लगातार आगे बढ़ रही है और इसका असर चुनाव में दिखना तय है.
चुनावी मैदान में सपा कहां खड़ी?
बीजेपी के दावों के बीच समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर मतदान में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र की हार बता दिया है. सपा विधायक और पार्टी सचेतक मनोज पांडे ने कहा कि इस चुनाव में सरकार और प्रशासन की इतनी धांधली है कि नतीजों से क्या उम्मीद की जाए. लेकिन जनता ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया है और इसका असर नतीजों में दिखाई देगा. पार्टी मैनपुरी में जीत के लिए आश्वस्त है और बीजेपी के दुरुपयोग के बावजूद भी बेहतर प्रदर्शन करेगी.
मैनपुरी का चुनाव राजनीतिक गलियारों में भी लोकसभा 2024 से पहले कई तरीके के संकेत देता नजर आता है. वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी कहते हैं कि बीजेपी ने भले ही पूरा तंत्र लगाया हो लेकिन समाजवादी पार्टी मैनपुरी में मजबूत दिखती है जहां डिंपल यादव का जीतना तय है और बात केवल मार्जिन पर नजर आती है. दूसरे राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय कहते हैं की हार या जीत दोनों सूरत में समाजवादी पार्टी का फायदा है क्योंकि अगर जीते तो इतिहास कायम रहा और अगर हारे तो इसका ठीकरा बीजेपी पर फोड़ते हुए अखिलेश यादव संवेदना लेते नजर आ सकते हैं.
साख की लड़ाई, परिणाम के बड़े असर
बहरहाल, मैनपुरी, खतौली और रामपुर में नतीजे भले ही प्रदेश और देश की सत्ता पर कोई असर ना डालें, लेकिन यूपी की सियासत में इसका एक बड़ा असर माना जा रहा है जो इस बात का परिचायक होगा कि आने वाले समय में क्या बीजेपी, समाजवादी पार्टी पर एक बार फिर से उसके गढ़ को तोड़ने में कामयाब होती है या नहीं. सवाल ये भी क्या सपा में यादव परिवार का फिर एक होना पार्टी को फायदा पहुंचाएगा या नहीं?