कर्नाटक के राजनीतिक नाटक पर बुधवार को पर्दा गिर जाने के साथ सबकी नजरें 28 मई को यूपी में दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव की ओर मुड़ जाएंगी. 28 मई को यूपी में कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए मतदान होना है. इन उपचुनावों को ‘बीजेपी बनाम विपक्षी एकजुटता’ के चुनावी संग्राम के तौर पर देखा जा रहा है.
ये भी कहा जा रहा है कि इन उपचुनाव के नतीजों से 2019 लोकसभा चुनाव के लिए किस तरह का रण सजेगा, उस बारे में भी काफी कुछ संकेत मिलेगा. मंगलवार को विपक्षी एकजुटता को और धार देने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने भी कैराना और नूरपुर में विपक्षी उम्मीदवारों को समर्थन देने का ऐलान किया.
बता दें कि कैराना में बीजेपी की उम्मीदवार मृगांका सिंह के मुकाबले विपक्ष ने अपने साझा उम्मीदवार के तौर पर तब्बसुम हसन को मैदान में उतारा है. राष्ट्रीय लोक दल के चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ रहीं तब्बसुम हसन को समाजवादी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है.
नूरपुर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवार अवनि सिंह का मुकाबला समाजवादी पार्टी उम्मीदवार नईम-उल-हसन से है.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी में आम आदमी पार्टी का बहुत सीमित आधार है. ऐसे में इस पार्टी के विपक्षी उम्मीदवारों को समर्थन से बेशक नतीजे पर कुछ खास असर ना पड़े लेकिन इससे 2019 आम चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता की मुहिम को जरूर ताकत मिलेगी.
बता दें कि यूपी में कुछ महीने पहले गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को बीएसपी ने समर्थन दिया था. दोनों जगह ही सपा (एसपी) के उम्मीदवारों को विजय मिली थी.
ये देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी के समर्थक कैसे कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल के साथ कंधे से कंधा मिलाएंगे. इन सभी पार्टियों को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करते समय भ्रष्ट बताया था.
इस बीच, अरविंद केजरीवाल बुधवार को बेंगलुरु में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी नेताओं के साथ मंच साझा करते नजर आएंगे. शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती, अजित सिहं, चंद्रबाबू नायडू, केसीआर, पिनाराई विजयन, कमल हासन, तेजस्वी यादव के पहुंचने की संभावना है.