उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर सोमवार को हुए उपचुनाव में मतदाताओं में उत्साह नहीं दिखा. इसी का नतीजा था कि 11 सीटों पर 46.66 फीसदी मतदान हुआ है. सूबे की 11 सीटों पर उपचुनाव में सबसे अधिक अंबेडकरनर की जलालपुर सीट पर 59.13 फीसदी मतदान रहा. जबकि लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर सबसे कम 28.53 फीसदी वोटिंग हुई. लखनऊ कैंट के अलावा कानपुर की गोविंदनगर और अलीगढ़ की इगलास सीट पर मतदाता घर से बाहर नहीं निकल सके. इसी का नतीजा है इन तीनों सीटों पर 33 फीसदी से कम वोटिंग रही.
विधानसभा उपचुनाव में सहारनपुर जिले की गंगोह, रामपुर, अलीगढ़ जिले की इगलास सुरक्षित, लखनऊ कैंट, कानपुर नगर की गोविंद नगर, चित्रकूट जिले की मानिकपुर, प्रतापगढ़, बाराबंकी जिले की जैदपुर सुरक्षित, अम्बेडकरनगर की जलालपुर, बहराइच की बलहा सुरक्षित और मऊ जिले की घोसी सीट पर सोमवार को वोटिंग हुई. इन 11 विधानसभा सीटों पर कुल 109 प्रत्याशी मैदान में थे.
लखनऊ में बेहद कम मतदान
लखनऊ कैंट सीट पर 28.53 फीसदी वोटिंग हुई, जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 71.92 फीसदी वोटिंग हुई थी. ऐसे में 2017 की तुलना में आधी भी वोटिंग नहीं हुई है. 2017 में इस सीट पर बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सासंद चुने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.
लखनऊ कैंट सीट की तरह ही कानपुर की गोविंदनगर सीट पर मतदाताओं में उत्साह नजर नहीं आया. गोविंदनगर सीट पर 32.60 फीसदी वोटिंग हुई है. जबकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 52.48 फीसदी वोटिंग हुई थी. इसके अलावा अलीगढ़ की इगलास सीट पर 36.20 फीसदी वोटिंग हुई है, जो कि 2017 में इसी सीट पर 64.88 फीसदी मतदान हुआ था. इससे साफ समझा जा सकता है कि 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में आधी वोटिंग भी नहीं रही.
ये रहा वोटिंग प्रतिशत
जैदपुर सीट पर 58.5 फीसदी, प्रतापगढ़ सदर सीट पर 44.55 फीसदी, मानिकपुर सीट पर 50.27 फीसदी, बलहा सीट पर 51 फीसदी, घोसी सीट पर 52.43 फीसदी, जलालपुर सीट पर 59.13 फीसदी , रामपुर सीट पर 41.46 फीसदी और गंगोह सीट पर 60.30 फीसदी वोटिंग हुई है. रामपुर और प्रतापगढ़ सीट पर 50 फीसदी से कम वोटिंग रही है.
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 11 सीटों में से 8 पर बीजेपी और एक-एक पर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और अपना दल के प्रत्याशी जीते थे. घोसी को छोड़कर जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ है वे उन पर चुने गए विधायकों के पिछले लोकसभा चुनाव में विजय हासिल करने के बाद विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने की वजह से खाली हुई हैं. घोसी सीट पर चुने गए विधायक फागू सिंह चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने के बाद उनके इस्तीफे की वजह से यह सीट खाली हुई है.
सूबे की जिन 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, इनमें से 8 सीटों पर 2017 में बीजेपी ने कब्जा जमाया था. सपा-बसपा-अपना दल के पास एक-एक सीटें रही हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने अपने पुराने नतीजे को दोहराने की चुनौती है तो वहीं विपक्ष के सामने अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने की चिंता है.