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पूर्वी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चंदौली (Chandauli) के रहने वाले शिवपाल सिंह (Shivpal Singh) का चयन टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में जैवलिन थ्रो (Javelin Throw) खेल में भारत के प्रतिनिधित्व के लिए हुआ है. चंदौली का लाल देशवासियों की उम्मीदें लिए टोक्यो के लिए उड़ान भरेगा. शिवपाल को भाला फेंकने की प्रतिभा विरासत में मिली है.
पिता और चाचा भी जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी
शिवपाल सिंह चंदौली जिले के धानापुर ब्लॉक के अंतर्गत हिंगुतरगढ़ गांव के रहने वाले हैं.इनके पिता रामाश्रय सिंह पीएसी में कार्यरत हैं.जैवलिन थ्रो का खेल शिवपाल को विरासत में मिला है.इनके पिता रामाश्रय सिंह, चाचा शिवपूजन सिंह और जगमोहन सिंह खुद भी जैवलिन थ्रो के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं. शिवपाल सिंह के चाचा जगमोहन सिंह नेवी में कार्यरत हैं और जैवलिन थ्रो के कोच भी रहे है. जगमोहन सिंह जब भी छुट्टी पर घर आते थे. तो शिवपाल सिंह को भाला फेंकने की प्रैक्टिस कराया करते थे.
शिवपाल की तैनाती हिंडन एयरबेस
शिवपाल सिंह की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गांव में ही हुई.उसके बाद यह अपने चाचा के साथ बाहर चले गए. इसके बाद 18 साल की उम्र में स्पोर्ट्स कोटे से शिवपाल की नौकरी एयर फोर्स में लग गई. फिलहाल शिवपाल की तैनाती हिंडन एयरबेस पर है.लेकिन वह अपनी जेवलिन थ्रो की तैयारियों के लिए वर्तमान समय में पटियाला स्थित इंडियन कैंप में रह रहे हैं. शिवपाल के छोटे भाई नंद किशोर सिंह भी जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी हैं और वर्तमान समय में स्पोर्ट्स कोटे से नेवी में नौकरी कर रहे हैं.
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दोहा एशियन गेम्स में जीता था गोल्ड
पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले शिवपाल सिंह ने 2019 में दोहा में आयोजित एशियन गेम में 86.50 मीटर भाला फेंका था और गोल्ड हासिल किया.इसके बाद 2020 में चीन के वुहान में आयोजित वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स में भी शिवपाल ने देश का नाम रोशन किया और 85.47 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल हासिल किया. शिवपाल सिंह ने नेपाल में आयोजित प्रतियोगिता में भी सिल्वर मेडल हासिल किया था. शिवपाल सिंह की प्रतिभा को देखते हुए जनवरी 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इन्हें लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दौरान शिवपाल सिंह की जमकर तारीफ की थी.अब जब शिवपाल सिंह टोक्यो ओलंपिक में जा रहे हैं तो उनके पिता और परिजन काफी गदगद हैं. शिवपाल के पिता रामाश्रय सिंह ने बताया कि बचपन से ही शिवपाल में इस खेल के प्रति जुनून था.आठ साल की उम्र से ही शिवपाल ने भाला फेंकने की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी और उनकी प्रतिभा को देखते हुए नेवी में कार्यरत उनके चाचा जगमोहन सिंह इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद अपने साथ ले गए.वहीं पर उनकी एयरफोर्स में नौकरी लगी. शिवपाल के पिता रामाश्रय सिंह बताते हैं कि स्पोर्ट्स कोटे से जब नौकरी लगने की बात आई तो भाला फेंकने का मानक 68 मीटर था.लेकिन शिवपाल ने 74 मीटर भाला फेंक दिया.
टोक्यो ओलंपिक के लिए चयन पर परिजनों में खुशी
शिवपाल का टोक्यो ओलंपिक के लिए चयन होने के बाद से ही उनके पिता और परिजन काफी खुश हैं.साथ साथ गांव के लोग भी काफी खुश और उत्साहित हैं. शिवपाल सिंह के चचेरे भाई विवेक सिंह कहते हैं कि मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा शिवपाल जी की सराहना की गई थी और अब जब शिवपाल टोक्यो जाने वाले हैं. तो हम लोग काफी खुश हैं और उनके बड़े भाई टोक्यो ओलंपिक में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे.
गांव के रहने वाले दीपक सिंह बताते हैं कि शिवपाल बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे और जैवलिन थ्रो के प्रति उनका जुनून देखते ही बनता था. दीपक सिंह उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि स्कूल की पढ़ाई के बाद जब भी मौका मिलता था तो शिवपाल भाला फेंकने की प्रैक्टिस करने लगते थे.दीपक सिंह ने बताया कि शिवपाल को टोक्यो ओलंपिक में जाने को लेकर पूरे गांव में हर्ष है और इस बात का यकीन है कि शिवपाल सिंह अन्य प्रतियोगिताओं की तरह टोक्यो ओलंपिक में भी अपने देश का नाम रोशन करेंगे.