उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही इन दिनों लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर दे रहे हों, लेकिन मंगलवार को मेरठ में जो हुआ उसकी उम्मीद योगी ने नहीं की होगी.
मेरठ में मुख्यमंत्री योगी गए तो थे एक दलित बस्ती में लोगों का हालचाल जानने और उनकी परेशानियों को सुनने-समझने के लिए. लेकिन वहां इसका ठीक उल्टा हुआ. मुख्यमंत्री के वहां से निकलते ही लोगों ने उग्र होकर शराब की एक दुकान में तोड़फोड़ की, योगी के खिलाफ नारे लगाए और वहां पर लगे मुख्यमंत्री योगी के पोस्टर फाड़ दिए. इन लोगों का आरोप था कि योगी आदित्यनाथ दलित विरोधी हैं.
दरअसल मेरठ शहर में शेरगढ़ नाम की एक दलित बस्ती में जाकर योगी लोगों से मिले. शेरगढ़ जाने का मुख्यमंत्री का कार्यक्रम पहले से तय था. अधिकारियों ने वहां पर मुख्यमंत्री के आने की तैयारी भी की थी, लेकिन एक चूक हो गई. शेरगढ़ दलित बस्ती में घुसते ही भीमराव अंबेडकर की एक मूर्ति लगी है. परंपरा रही है कि कोई भी महत्वपूर्ण व्यक्ति जब इस बस्ती आता है तो सबसे पहले अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करता है और उसके बाद मोहल्ले में जाता है. योगी ऐसा नहीं कर पाए. इससे लोग नाराज हो गए और कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि अंबेडकर की मूर्ति को नजरअंदाज करके योगी ने उनके सबसे बड़े महापुरुष का अपमान किया है.
लोगों का गुस्सा इसलिए भी भड़क गया क्योंकि शेरगढ़ के लोग मुख्यमंत्री से मिलकर इलाके में शराब की दुकानें बंद कराने और जुए के अड्डों पर पाबंदी लगाने का अनुरोध करना चाहते थे. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि आसपास शराब की दुकानें खुलने से माहौल खराब हो गया है और सट्टे व जुए की वजह से लोग इसी में लगे रहते हैं. लोगों को उम्मीद थी कि योगी तत्काल इसके बारे में कोई ऐलान करेंगे.
लेकिन समय की कमी की वजह से योगी वहां कुछ लोगों से मिलकर निकल गए. इसे लोग भड़क गए और अपना गुस्सा पास में एक शराब की दुकान पर निकाला. लोगों ने इस दुकान में तोड़फोड़ कर दी. बाद में पुलिस ने मौके पर जा कर लोगों को समझाया, बुझाया और शांत किया.