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योगी आने वाले हैं... कुशीनगर में बंटा शैंपू-साबुन, अफसरों ने कहा- नहाकर आना, CM के पास बदबू न आए

सीएम योगी ने मुसहरों के पांच बच्चों के टीकाकरण से कार्यक्रम की शुरुआत की. इस दौरान उन्हें मुसहर टोले भी जाना था, लेकिन वो गए नहीं और मुसहरों के हाथ में शैंपू-साबुन धरे के धरे रह गए.

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योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ

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यूपी का हाल अजब है, जिनके घर में खाने के लिए रोटी नहीं है... उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने से पहले साबुन-शैंपू से नहाकर आने की सलाह दी जा रही है. दरअसल, यूपी के मुख्यमंत्री कुशीनगर के मैनपुर कोट दीनापट्टी गांव के मुसहर टोले में आने वाले थे.

गोरखपुर से सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ मुसहरों के विकास की बात करते रहे और इसलिए गांव में टीकाकरण कार्यक्रम के लिए योगी आए. सीएम योगी ने मुसहरों के पांच बच्चों के टीकाकरण से कार्यक्रम की शुरुआत की. इस दौरान उन्हें मुसहर टोले भी जाना था, लेकिन वो गए नहीं और मुसहरों के हाथ में शैंपू-साबुन धरे के धरे रह गए.

गौर करने की बात ये है कि मुसहर टोला के लोगों के बदन पर कपड़ा तक नहीं है. रहने के लिए घास फूस की झोंपड़ी. अगर इसके भीतर झांककर देखिएगा, तो बर्तन और हांडी के नाम पर 500 रुपये से ज्यादा का सामान नहीं होगा.

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खाने के लिए दो जून की रोटी नहीं
इस बस्ती में शायद ही कोई ऐसी झोपड़ी हो, जहां किसी के पास सौ रुपये नगद हो और कुल संपत्ति हजार रुपये से ज्यादा, लेकिन योगी के अधिकारी इन्हें नहाने के लिए साबुन और शैंपू पकड़ा गए. कपड़ा धोने के लिए घड़ी साबुन और बाल धोने के लिए क्लिनिक प्लस शैंपू.

कुशीनगर की इस बस्ती के हर व्यक्ति के लिए यह अजूबा है. जिनकी जिंदगी चूहे को पकड़ मार के खाने में गुजर गई. नंग धड़ंग रहते हुए कभी दो जून की रोटी एक साथ किसी झोपड़पट्टी में आई नहीं, लेकिन राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ आने वाले हैं तो साबुन और शैंपू इन हाथों में जरूर पहुंच गया.

आंगनबाड़ी वालों ने बांटा साबुन-शैंपू
दीनापट्टी गांव के निवासी दयाराज ने कहा, 'योगी जी आने वाले हैं. साफ सफाई से नहाकर उनसे मिलने जाना चाहिए. ताकी शरीर से बदबू न आए. हम लोग गए थे, लेकिन बाद में साबुन मिला, तो नहाकर नहीं गए थे जल्दबाजी में. सात बजे से पहले बुलाए थे, हम लोग सात बजे से पहले ही पहुंच गए थे.'

दयाराज के अलावा किशुनी देवी को भी साबुन मिला था. उन्होंने कहा, 'आंगनबाड़ी वाली ने साबुन शैंपून दिया. बोला कि योगी जी आने वाले हैं, नहा धोकर जाना. शरीर से बदबू नहीं आएगी.'

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कोई अधिकारी रोटी-दवाई लेकर नहीं पहुंचा!
यूपी अजब इसलिए है कि कुशीनगर के मैनपुर कोट दीनापट्टी गांव के लोगों तक कभी कोई अधिकारी रोटी लेकर नहीं पहुंचा. बीमार होने पर दवाई भी किसी ने नहीं पहुंचाई, लेकिन सीएम आने वाले है तो इलाके में तैनात अधिकारियों ने शैंपू-साबुन बांटकर इन्हें निर्देश दे दिया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले, तो नहा धोकर मिलें.

साबुन-शैंपू बांटते वक्त अधिकारियों ने बाकायदा हिदायत दी कि कोई भी शख्स बिना नहाए-धोए सीएम के पास न आए और किसी के शरीर से बदबू नहीं आनी चाहिए.

न समाजवादी पेंशन पहुंची और न उज्जवला योजना
बता दें कि इस बस्ती में 1800 लोग घास फूस की झोपड़ी में रहते हैं. टोले में एक कमरे का एक स्कूल है, जहां कोई पढ़ने नहीं जाता. टोले में कोई शौचालय भी नहीं है. इस टोले में समाजवादी पेंशन योजना भी नहीं पहुंची और उज्जवला योजना भी नहीं. पानी के नाम पर अदद हैंडपंप है.

कुशीनगर में 159 बस्तियों में ढाई लाख मुसहर
इस टोले में योगी आदित्यनाथ भले नहीं पहुंचे हो, लेकिन साबुन-शैंपू के पहुंचने से इस बस्ती को चर्चा मिल गई, लेकिन जहां साबुन-शैंपू नहीं पहुंचा, वहां क्या? ऐसी 159 बस्तियां कुशीनगर में है. यानी 159 बस्तियों में रहने वाले करीब ढाई लाख मुसहर जीते जी मौत की बीमारियों को ढोते हुए जीते हैं.

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इनके पास ना रोजगार है ना पक्की मजदूरी. कैसे ये खुद ही जीते हैं. क्या खाते हैं? ये देखने की फुर्सत किसी को नहीं है.

उपजिलाधिकारी की जुबान पर ताले
साबुन और शैंपू बांटने पर जब अधिकारियों से सवाल किया गया, तो उपजिलाधिकारी की जुबान पर ताले लग गए. उन्होंने मीडियाकर्मियों के माइक को किनारे कर दिया.

ऐसे में सवाल ये है कि अंधेरा कितना घना है? क्योंकि ये सिर्फ अधिकारियों का ड्रामा नहीं, मुख्यमंत्री की सत्ता की खुश्बू नहीं. गरीबी का बदबूदार होना भर नहीं. यह सिस्टम के अमानवीय होकर खुद को मानवीय बताने का ढोंग है.

बांदा में बच्चों से छीन लिया नया बस्ता
याद रहे कि बांदा में जिस तरह दौरे से पहले स्कूली बच्चों को नए बस्ते बंटवाए गए और दौरा रद्द होने पर बस्ते छीन लिए गए उसकी ही अगली कड़ी शैंपू-साबुन का बांटा जाना है. वो भी इस ताकीद के साथ कि सीएम योगी के सामने शरीर से बदबू नहीं आनी चाहिए.

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