इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने वेलंटाइंस-डे पर प्रेमी जोड़ों को बड़ा तोहफा दिया है. कोर्ट ने मोरल पुलिसिंग कराने से इनकार करते हुए कहा है कि पार्कों में युवक-युवतियों व स्टूडेंट्स के आने-जाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. यह देश के संविधान में दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा.
जस्टिस इम्तियाज मुर्तजा और जस्टिस डीके उपाध्याय की बेंच ने यह विचार व्यक्त करते हुए मोरल पुलिसिंग की मांग वाली याचिका खारिज कर दी.
विजया सिंह की ओर से पीआईएल दायर कर कहा गया था कि शहर के बेगम हजरत महल पार्क सहित तमाम अन्य पार्कों में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गार्डों की तैनाती नहीं की है. कॉलेज स्टूडेंट्स क्लासेज छोड़कर बिना मां-बाप की जानकारी के इन पार्कों में यूनिफार्म में ही चले आते हैं. याचिका में कहा गया था कि ये लोग पार्कों में खुलेआम आपत्तिजनक हरकतें करते हैं. गार्डों के न होने से उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में आमजन इन पार्कों का रुख करने में शर्म महसूस करता है.
याचिका में मांग की गई कि शहर के पार्कों खास तौर से बेगम हजरत महल और अलीगंज के नेहरू बाल वाटिका में गार्डों की तैनाती की जाए और छात्र-छात्राओं व अन्य युवकों को यूनिफार्म में आने पर रोक लगे.
कोर्ट ने याचिका पर बहस सुनने के बाद कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 में कई संवैधानिक अधिकार दिए गए हैं. कहीं भी आने-जाने का अधिकार इनमें से एक है हालांकि इस पर कुछ प्रतिबंध होते हैं. कोर्ट ने आगे कहा यदि याची की बात मान ली जाए तो यह संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा.