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UP Defense Corridor: तीन साल में यूपी में बनने लगेंगी ब्रह्मोस मिसाइलें, 100 से अधिक मिसाइलों का लक्ष्य

दुनिया की सबसे घातक और तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल BrahMos उत्तर प्रदेश में बनेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात का खुलासा किया. शुरुआत में 100 से अधिक मिसाइलें बनाई जाएंगी. इस प्रोजेक्ट के लिए लखनऊ में 80 एकड़ की जमीन चिन्हित की गई है.

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उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में बनाई जाएगी BrahMos-NG मिसाइल. लखनऊ में जमीन चिन्हित. (फोटोः DRDO)
उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में बनाई जाएगी BrahMos-NG मिसाइल. लखनऊ में जमीन चिन्हित. (फोटोः DRDO)

दुनिया की सबसे घातक और सबसे तेज उड़ने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos) को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बनाया जाएगा. इसके लिए लखनऊ में 80 एकड़ की जमीन चिन्हित कर ली गई है. इसे लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूसी कंपनी NPOM के बीच एमओयू भी हो चुका है. आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात का जिक्र किया. 

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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस कॉरिडोर के विकास से उत्तर प्रदेश देश की सुरक्षा व्यवस्था और रक्षा उपकरणों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. देश के दूसरे डिफेंस कॉरिडोर में अगले तीन साल में (2025 तक) अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलों (BrahMos NG) का निर्माण होने लगेगा. शुरू में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया गया है. पांच से सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का टारगेट है.

ये है ब्रह्मोस-NG मिसाइल जिसे भारतीय फाइटर जेट के नीचे तैनात किया गया है. (फोटोः DRDO)
ये है ब्रह्मोस-NG मिसाइल जिसे भारतीय फाइटर जेट के नीचे तैनात किया गया है. (फोटोः DRDO)

ब्रह्मोस NG मिसाइल बनाने के लिए तेजी से हो रही तैयारी 

DRDO और NPOM में एमओयू हो चुका है. ये संस्थाएं शुरू में 300 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी. इसके लिए कॉरिडोर के लखनऊ नोड में 80 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है. 26 दिसंबर 2021 को इसका शिलान्यास भी हो चुका है. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के विशेष कार्याधिकारी दुर्गेश उपाध्याय ने बातया कि  पूर्व घोषित उत्तर प्रदेश डिफेंस एंड एयरोस्पेस एम्प्लॉयमेंट प्रमोशन पॉलिसी के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में निवेशकों के हित में और भी कई नीतिगत बदलाव किए हैं. ये सभी बदलाव यूपीडा की वेबसाइट पर हैं. इन बदलावों से डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए और निवेशक आकर्षित होंगे. 

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निवेशकों को नहीं आएगी पूंजी की दिक्कत, बैंकों के साथ डील

डिफेंस कॉरिडोर परियोजना को गति मिले. इसमें निवेश करने वालों को पूंजी की दिक्कत न आए. इसलिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिडबी, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से एमओयू कर चुका है. 

BrahMos मिसाइल के कई वैरिएंट्स हैं, जो अलग-अलग टारगेट्स के लिए बनाए गए हैं. इन्हें कहीं से भी दागा गया है. (फोटोः विकिपीडिया)
BrahMos मिसाइल के कई वैरिएंट्स हैं, जो अलग-अलग टारगेट्स के लिए बनाए गए हैं. इन्हें कहीं से भी दागा गया है. (फोटोः विकिपीडिया)

93 कंपनियों से यूपीडा एमओयू, 11256 करोड़ का निवेश

डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के सिलसिले में 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का उद्घाटन किया था. इस आयोजन में 70 देशों की रक्षा उपकरणों के उत्पादन से जुड़ी करीब 1029 कंपनियों ने भाग लिया था. इसमें 172 कंपनियां विदेश की थीं. उस समय 22 एमओयू हुए थे. इसी वजह से उस समय इसे देश का सबसे बड़ा डिफेंस एग्जिबिशन प्लेटफॉर्म माना गया था. 

यही नहीं इसकी तुलना वैश्विक स्तर पर भी उच्च कोटि में की गई थी. बाद में यूपीडीआईसी ने 2021 में एयरो इंडिया 2021 में भाग लिया था. उस आयोजन में रक्षा उपकरणों से जुड़ी 17 कंपनियों ने यूपीडा के साथ एमओयू हुए थे. अब तक यूपीडा से कुल 93 कंपनियां एमओयू कर चुकी हैं. इससे 11256 करोड़ रुपये का निवेश आएगा. 30 कंपनियों को भूमि आवंटित की गई है, 27 को दी भी जा चुकी है.

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ये है ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल का स्केल मॉडल. बनने के बाद ऐसी ही दिखेगी ये मिसाइल. (फोटोः ट्विटर/DRDO)
ये है ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल का स्केल मॉडल. बनने के बाद ऐसी ही दिखेगी ये मिसाइल. (फोटोः ट्विटर/DRDO)

1600 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित, जल्द शुरू हो जाएगा काम

डिफेंस कॉरिडोर में कुल छह (झांसी, चित्रकूट, कानपुर, अलीगढ़, लखनऊ और आगरा) नोड्स हैं. यूनिट लगाने वालों के लिए अब तक करीब 1643 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की जा चुकी है. इसमें से करीब 1600 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है. निवेश के लिए कुल 93 एमओयू भी हो चुके हैं. इसमें से 72 इंडस्ट्रियल इकाइयों से और 21 संस्थाओं के साथ किए गए हैं. सर्वाधिक 35 एमओयू अलीगढ़ नोड्स के लिए हुए हैं. लखनऊ, कानपुर, झांसी और आगरा नोड्स के लिए क्रमशः 15, 12, 9 और 2 एमओयू हुए हैं. 

भविष्य में भारत बनाएगा हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Brahmos Supersonic Cruise Missile) है. भविष्य में ब्रह्मोस-2 मिसाइल लाने की योजना है. यह हाइपरसोनिक मिसाइल होगी. इसमें स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा. इसकी गति मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से दागा जा सकेगा. 

भारतीय नौसेना INS विशाखापट्टनम से भी लगातार कर रही है ब्रह्मोस का परीक्षण. (फोटोः पीटीआई)
भारतीय नौसेना INS विशाखापट्टनम से भी लगातार कर रही है ब्रह्मोस का परीक्षण. (फोटोः पीटीआई)

ब्रह्मोस के चार वैरिएंट फिलहाल भारत के पास, दुनिया में मांग

समुद्र से दागने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के चार वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. 

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इसकी गति और सटीकता का दुनिया में कोई तोड़ नहीं

युद्धपोत से लॉन्च किए जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200 किलोग्राम वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल मैक 3.5 तक की अधिकतम गति हासिल कर सकती है. यानी 4321 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. साथ ही ईंधन की खपत कम करता है. 

सुखोई फाइटर जेट से छूटकर टारगेट की ओर बढ़ती ब्रह्मोस मिसाइल. (फोटोः DRDO/IAF)
सुखोई फाइटर जेट से छूटकर टारगेट की ओर बढ़ती ब्रह्मोस मिसाइल. (फोटोः DRDO/IAF)

दुश्मन को धोखा देना इस मिसाइल को खूब आता है

ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार को धोखा देना इसे बखूबी आता है. सिर्फ राडार ही नहीं यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है.  इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की तुलना में दोगुनी अधिक तेजी से वार करती है.  यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है. 

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