उत्तर प्रदेश में शिक्षा से किस तरीके से खिलवाड़ किया जा रहा है उसकी बानगी बेसिक शिक्षा परिषद की घोर लापरवाही वाले रवैये में साफ झलकती है. परिषद द्वारा स्कूलों में खासतौर पर मुस्लिम बच्चों के पढ़ने के लिए उर्दू की जो सरकारी किताब उपलब्ध कराई गई है, उसमें कई सारी गलतियां हैं.
उर्दू की यह पुस्तक शिक्षा निदेशालय, (बेसिक) पाठ्य पुस्तक विभाग उत्तर प्रदेश शासन ने कक्षा एक से आठ तक के बच्चों में वितरित की है. शिक्षा सत्र 2013-14 के लिए यह पुस्तक जनवरी में स्कूलों में वितरित की गई. हद तो यह है कि पुस्तक में पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन उनके प्रधानमंत्री बनने के पहले दिखाया गया है.
कक्षा 7 की पुस्तक 'हमारी जुबान' में पेज नंबर 33 पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की चिट्ठी 'बाप का खत बेटी के नाम' रामायण और महाभारत शीर्षक से लिखी गई है. इसमें नेहरू का इंतकाल (मौत) वर्ष आजादी से पहले 1946 में होना दर्शाया गया है, जबकि उनका निधन 27 मई 1964 को हुआ था और वे 1947 से 1964 तक प्रधानमंत्री रहे.
इस किताब के अनुसार, नेहरू अपनी मौत होने के बाद प्रधानमंत्री बने और 17 वर्ष इस जिम्मेदारी को निभाया. इसके अलावा, पुस्तक में ढेरों गलतियां है. पहली पुस्तक कक्षा एक से कक्षा 4 तक 'जुबान की किरन', दूसरी पुस्तक कक्षा 5 के लिए 'चहक' और तीसरी पुस्तक 'हमारी जुबान' है. ये कक्षा 6 से 8 तक के लिए है.
कक्षा 3 की पुस्तक में ही तहरीक आजादी का मतलब सिर्फ आंदोलन समझाया गया है, जबकि देश की आजादी के लिए आंदोलन होना चाहिए था. पुस्तकों में ढेरों गलतियां होने पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि प्रदेश सरकार की सहमति पर बेसिक शिक्षा परिषद की कमेटी पाठ्यक्रम पर निर्णय लेती है.
पाठ्य पुस्तक तय होने के बाद स्क्रीनिंग कमेटी चेक करके गलतियां सुधारती है. प्रेस में छपने के बाद भाषा समिति प्रूफ रीडिंग कराती है और फिर पुस्तक को उपलब्ध कराया जाता है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन कहते हैं, 'प्रदेश सरकार लगातार शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है. अब साबित हो गया है कि सरकार को बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है.'