प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार से पूछा, 'और किन-किन विभागों का पैसा डिफॉल्टर कंपनियों में लगा है? सारी चीजें अभी सामने लाइए. जवाब तो देना ही होगा, मेहनत की गाढ़ी कमाई का सवाल है.'
इससे पहले भी प्रियंका गांधी ने इस घोटाले पर सवाल खड़े किए थे. प्रियंका गांधी ने 3 नवंबर को किए गए एक ट्वीट में कहा था कि उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई बीजेपी सरकार में डीएचएफएल में निवेश करके फंसा दी. चुनाव के दौरान मुझे तमाम सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर नई पेंशन स्कीम को लेकर अपनी चिंता बताई थी. आज उनके शक जायज साबित हो रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?एक खबर के अनुसार भाजपा सरकार बनने के बाद 24 मार्च 2017 को पॉवर कोर्पोरेशन के कर्मियों का पैसा डिफ़ॉल्टर कम्पनी DHFL में लगा।
सवाल ये है कि भाजपा सरकार दो साल तक चुप क्यों बैठी रही? कर्मचारियों को ये बताइए कि उनकी गाढ़ी कमाई कैसे मिलेगी?#DHFLघोटाला
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 5, 2019
उत्तर प्रदेश के 45,000 से ज्यादा बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2267 करोड़ रुपये को गलत तरीके से दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) में जमा करवाने के मामले की जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई को दी है. इसके अलावा इस मामले में दो लोगो को गिरफ्तारी भी की गई है. हलांकि जब तक इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई नहीं शुरू नहीं करती है, तब तक इसकी पड़ताल पुलिस महानिदेशक (आर्थिक अपराध शाखा) आरपी सिंह के ही जिम्मे है.
शनिवार को इस मामले के मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद आनन-फानन में हजरतगंज थाने में एफआईआर करा दी गई थी. लखनऊ पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया था. दरअसल 10 अक्टूबर को यह मामला सामने आया था कि बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा नियमों के विरुद्ध डीएफएफएल में निवेश कर दिया गया है. इसके बाद इम्प्लाइज ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया था. बाद में पता चला कि डीएचएफएल खुद कई गड़बड़ियों में फंसी हुई है.
विपक्ष ने किया सरकार का घेराव
शनिवार को इसे लेकर ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग भी की थी. ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने की कार्यवाही की. इसे लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देर शाम इस पूरे मामले पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से बात की और सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए.
तत्काल हुई गिरफ्तारी
मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी हरकत में आए. आनन-फानन में हजरतरगंज कोतवाली में आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा तत्कालीन निदेशक वित्त और ट्रस्टी सुंधाशु द्विवेदी को लखनऊ से और ट्रस्ट के सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता को आगरा से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके साथ ही इस मामले में कुछ और कर्मचारियों की भी तलाश शुरू हो गई है.
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि दोनों अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर असुरक्षित बैंक डीएचएफएल में भविष्य निधि का पैसा निवेश करने से बिजली कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ का करीब 2267.90 करोड़ रुपया फंस गया है. यही दोनों अधिकारी इस पूरे मामले को देख रहे थे.
आरोपियों के खिलाफ दर्ज हो चुका केस
इस मामले की जांच पहले से ही एसएफआईओ (सीरियस फ्राड इंस्वेस्टीगेटिंग आफिस) कर रही है. इस मामले में शनिवार शाम को पावर कॉरपोरेशन के सचिव आई.एम कौशल की तरफ से एफआईआर दर्ज करवाई गई. एफआईआर में आरोप है कि दोनों आरोपित अधिकारियों ने बिना प्रबंध निदेशक और उच्चाधिकारियों की जानकारी के दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन में निवेश करने का निर्णय लिया. दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 466, 468 और 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोपियों पर अमानत में खयानत, धोखाधड़ी और जालसाजी करने के आरोप हैं. रविवार को दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा. बिजली कर्मचारी संगठनों ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है.
(IANS इनपुट के साथ)