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अस्तित्व में आया महिला संतों का अपना अखाड़ा

तमाम विरोधों के बीच अंतत: गुरुवार, 13 फरवरी, को इलाहाबाद में संगम की रेती पर महिला अखाड़ा अस्तित्व में आ ही गया.

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तमाम विरोधों के बीच अंतत: गुरुवार, 13 फरवरी, को इलाहाबाद में संगम की रेती पर महिला अखाड़ा अस्तित्व में आ ही गया.

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जयकारों के बीच महिला संतों की मौजूदगी में संगम पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा पूजन के बाद महिला शंकराचार्य त्रिकाल भवंता ने श्रीसर्वेश्वर महादेव बैकुंठ धाम मुक्ति द्वार अखाड़ा (परी) नामक महिला अखाड़े की घोषणा की. अखाड़े के घोषणापत्र के मुताबिक आदिशक्ति वेदमात्रा गायत्री को अखाड़े की देवी और भगवान दत्तात्रेय को अखाड़े का आचार्य घोषित किया गया.

अरैल स्थित श्रीसर्वेश्वर महादेव बैकुंठ धाम मुक्ति द्वार मुख्यालय होगा. पुरोहित आचार्य अनूप त्रिपाठी पीली कोठी वाले के आचार्यत्व में पंडित अतुल मिश्र, पंडित चंद्रप्रकाश शर्मा, पंडित जनक मिश्रा, पंडित वीरेंद्र कुमार शर्मा आदि ने उन्हें सनातन धर्म की रक्षा के लिए संकल्प दिलाया.

इससे पहले महावीर मार्ग दक्षिणी पट्टी स्थित शिविर में आमसभा के तहत आदिशक्ति वेदमाता गायत्री के पूजन के बाद अखाड़े के नाम पर सहमति बनी. शंकराचार्य त्रिकाल भवंता के नेतृत्व में सभी साध्वियां बैनर के साथ पीला और गेरुआ वस्त्र पहने शोभायात्रा के रूप में संगम नोज पहुंचीं जहां पूजन के बाद अखाड़े की घोषणा की गई.

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