उत्तर प्रदेश के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं. इस बीच योगी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है. सभी मुख्यालयों पर चौबीस घंटे कंट्रोल रूम खोलने के साथ ही बाढ़ प्रभावित लोगों को युद्ध स्तर पर सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है. आपदा में हताहत लोगों को 12 घंटे में मुआवजा और राहत कैंप पूरी तरह से स्वच्छ रखने का आदेश भी दिया गया है. यूपी की गंगा, यमुना, चंबल, बेतवा, केन और घाघरा नदियां उफान पर हैं.
#WATCH Buildings in low-lying areas of Prayagraj partially submerged due to a rise in the water level of rivers Ganga and Yamuna due to rainfall. pic.twitter.com/Dfe2Daj1K1
— ANI UP (@ANINewsUP) September 19, 2019
कई नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण तटवर्ती क्षेत्रों के लोगों ने घर छोड़कर पलायन शुरू कर दिया है. बाढ़ का असर खासकर प्रयाग, वाराणसी, गोंडा, अयोध्या, बलिया और मिर्जापुर में देखने को मिल रहा है. यहां पर जलस्तर बढ़ने के कारण लोग पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं.
प्रयाग में गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी से खतरे की निशान की ओर बढ़ रहा है. दोनों नदियों के रौद्र रूप पकड़ने से निचले इलाकों में हड़कंप मच गया. दो दर्जन से ज्यादा मोहल्ले और 50 के करीब गांव बाढ़ की चपेट में हैं. हजारों की संख्या में लोग पलायन कर गए. कुछ बेघर हुए लोग राहत शिविरों में पहुंचने लगे हैं.
बाढ़ राहत आपदा कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि जिन जिलों में नदियों का जलस्तर बढ़ा है, वहां की बाढ़ चौकियों को अलर्ट किया गया है. राहत बचाव के लिए वहां पर जिला प्रशासन को तेजी लाने के लिए कहा गया है. एनडीआरएफ की टीम को भी सक्रिय रहने को कहा गया है.(एजेंसी से इनपुट)