सड़क हादसों में मरने वालों की बढ़ती संख्या के कारण देश में जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार आवश्यक सड़क सुरक्षा उपायों पर विचार कर रही है. पुलिस अब तेज गाड़ी चलाने, यातायात नियमों के उल्लंघन, बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाने और सेफ्टी बेल्ट नहीं बांधने पर दंडात्मक कार्रवाई करेगी.
सड़क हादसों में मरने वालों की बढ़ती संख्या से परेशान होकर हजारों लोंगो की जान लेने वाली इस व्यापक समस्या के प्रति आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार सचेत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं इस मामले का संज्ञान लिया है. साथ ही उन्होंने परिवहन और यातायात विभाग को भी सचेत किया है.
इसका उद्देश्य राज्य में हो रही सड़क दुर्घटनाओं और उनमें हताहत हो रहे लोगों की संख्य कम करना है. सितंबर में घोषित हुई सड़क सुरक्षा नीति को अब कड़े तौर पर लागू करने के उपाय हो रहे हैं, जैसे अगर किसी ने हेलमेट नहीं पहना है या फिर सीट बेल्ट नहीं लगाई है उसे पेट्रोल पंप पर पेट्रोल नहीं दिया जाएगा.
परिवहन और सड़क सुरक्षा आयुक्त के. रविंद्र नायक के मुताबिक 2014 के पहले तीन महीनों में दुपहिया वाहन चलाते समय 1200 से अधिक लोगों के साथ सड़क हादसा हुआ, जिनमें 594 की चिकित्सकीय सहायता मिलने से पहले ही मौत हो गई. नायक ने कहा, 'अगर उन्होंने हेलमेट पहना होता तो उन्हें बचाया जा सकता था.'
यातायात निदेशालय के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जनवरी से मार्च के बीच 7,031 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से 1,206 सड़क हादसे राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग पर घटित हुए.
इन सड़क दुर्घटनाओं में तकरीबन 3,760 लोगों की मौत हो गई, वहीं 5,107 लोग घायल हो गए. घायलों में कुछ की हालत गंभीर है और कुछ लोगों ने अपने कीमती अंग खो दिए. सड़क सुरक्षा विभाग ने रास्तों पर बस और ट्रक खड़ा कर चाय पीने वाले ड्राइवरों पर सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया है.
एक अधिकारी ने बताया, 'ज्यादातर हादसे खड़े वाहनों में टक्कर होने से होते हैं हम इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे लापरवाह ड्राइवरों को सबक मिले.' अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार क्रेनें खरीदने के लिए, सड़क सुरक्षा को बेहतर करने के लिए और हाइवे पर पुलिस स्टेशन बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी.
IANS से इनपुट