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NPR के ऐलान के बाद हापुड़ में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लगी लाइन

हापुड़ के अधिशासी अधिकारी जेके आनंद ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अचानक भीड़ उमड़ पड़ी. किसी ने अपना जन्म 1948 का बताया तो किसी ने सन 1952 का हवाला दिया.

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जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लगी भीड़ (ANI)
जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लगी भीड़ (ANI)

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  • एनपीआर को केंद्रीय कैबिनेट से मिली मंजूरी
  • सरकार बोली-किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के ऐलान के बाद हापुड़ नगरपालिका दफ्तर में जन्म प्रमाण पत्र बनाने वालों की अचानक भीड़ जुट गई. उत्तर प्रदेश के हापुड़ नगर पालिका के बाहर लोगों की लाइन लग गई. अधिशासी अधिकारी जेके आनंद ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. किसी ने अपना जन्म 1948 बताया तो कुछ ने 1952 का हवाला दिया. हमारे पास पुरानी तारीखों की जानकारी नहीं है. इस कारण हमें दिक्कत हो रही है, लेकिन हम लोगों से जो होगा, वह करेंगे.

बता दें, केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी गई. एनपीआर के संबंध में लोगों को अपनी पहचान बताने के लिए किसी प्रकार के दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं होगी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया कि अप्रैल 2020 से शुरू होने वाली एनपीआर की प्रक्रिया में लोगों से पहचान बताने के लिए किसी प्रकार के दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे.

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प्रस्ताव के अनुसार, एनपीआर की यह प्रक्रिया सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक पूरी कर ली जाएगी. एनपीआर देश के नागरिकों का एक रजिस्टर है. यह नागरिकता अधिनियम 1955 और 2003 के नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमों के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उप-कस्बे), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है.

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