दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में विधायकों, मंत्रियों द्वारा लाल बत्ती गाड़ी का प्रयोग न करने के फैसले को मिल रहे जनसमर्थन और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी यूपी सरकार के कानों में जूं नहीं रेंगी.
सूबे में बत्तियों और सायरन के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जरूर जारी कर दिए गए हैं. इसके लिए तीन सदस्यीय उच्चाधिकार कमेटी भी गठित कर दी गई है. लेकिन सूबे में रुतबे और कद का प्रतीक लाल तथा नीली बत्ती का मोह छोड़ने के लिए कोई तैयार नहीं है.
फिलहाल शासन भी कोई सख्त कार्रवाई करने के मूड में नहीं है. गुरुवार को बत्तीधारियों की नियमावली की समीक्षा को गृह, परिवहन और वाणिज्य कर के आला हुक्मरानों की बैठक तो जरूर हुई, लेकिन बदलाव और कटौती जैसे मुद्दे पर निर्णयों से कदम ठिठक गए.
बैठक में बस यही मंथन हो सका कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अमल के लिए दिए गए तीन माह का समय का उपयोग नियमावली को दुरुस्त करने में किया जाए. हालांकि, इस दौरान बत्ती व सायरन की बिक्री पर अंकुश के लिए ठोस योजना का खाका खींचा गया और विशेष अभियान चलाने का फैसला लिया गया.