उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में प्राथमिक स्कूल में बच्चों की थाली में सिर्फ नमक-रोटी ही नहीं नमक और चावल भी परोसा जा चुका है. इस बात का खुलासा खुद स्कूल के बच्चों ने किया है. दरअसल, आजतक ने रियलिटी चेक किया है. इसमें जो बातें सामने आईं हैं वह न सिर्फ प्रशासन के दावों की पोल खोल रही है, बल्कि सरकार की मंशा को भी साफ करती है.
मिर्जापुर के सीहोर प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने बताया कि नमक रोटी दिए जाने की बात एकदम सच है. इसके पीछे किसी की कोई साजिश नहीं है. इस बात की तस्दीक स्कूल में तैनात उस महिला ने भी की जिसकी जिम्मेदारी रोज स्कूल में खाना बनाना और बच्चों को खिलाना है.
खाना बनाने वाली महिला रुक्मणी देवी ने बताया कि अक्सर ऐसा होता है कि या तो खाने की कमी होती है या फिर सामान समय पर नहीं पहुंचता है. और तो और बच्चों की संख्या के लिहाज से जो खाने-पीने का सामान दिया जाता है वह बेहद कम होता है. कई बच्चे भूखे भी रह जाते हैं. घटना वाले दिन की बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके ऊपर किसी का न तो दबाव था और न ही उन्हें किसी ने ऐसा करने के लिए उकसाया.
उन्होंने कहा कि जो नमक रोटी बच्चों को परोसी गई थी वह इसलिए क्योंकि लंच का वक्त निकला जा रहा था. बच्चों के खाने के लिए कुछ नहीं था. कई बार बोलने के बाद भी दाल, सब्जी और दूसरे सामान नहीं पहुंचे. लिहाजा अपनी मर्जी से बच्चों को नमक रोटी परोसी गई.
नमक और चावल भी परोसा गया
प्रशासन ने इस मामले में ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि को जेल भेजा है और खबर उजागर करने वाले पत्रकार को कटघरे में खड़ा किया है. उनके खिलाफ साजिश रचने का मुकदमा दर्ज किया गया है. जबकि हकीकत यह है कि उन्होंने सच्चाई उजागर की थी जो बेहद हैरान करने वाली है.
बच्चों के मुताबिक सिर्फ उसी दिन उनको नमक रोटी नहीं दी गई थी, बल्कि उससे पहले भी नमक और चावल थाली में परोसा गया. और तो और कई बार परोसा जाने वाला खाना इतना कम होता है कि उनका पेट भी नहीं भरता.
गांव के लोग नाराज
इस मामले को लेकर गांव के लोग भी काफी नाराज हैं. उनका आरोप है कि उनके बच्चों की सेहत के साथ न सिर्फ खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि प्रधान और स्कूल के अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि उनके बच्चे अक्सर भूखे रहने की शिकायत करते हैं. जब वे शिकायत करने के लिए स्कूल प्रशासन के पास जाते हैं तो प्रशासन उन्हें भगा देता है और धमकी दी जाती है कि ये सब ऐसे ही चलता रहेगा.
प्रशासन ने बनाया दबाव
गांववालों का आरोप है कि मामला सामने आने के बाद प्रशासन की तरफ से उनपर दबाव बनाया गया. बच्चों को टॉफी और बिस्किट बांटे गए, जिससे वह बात न बता सकें. उनसे यह भी कहा गया किसी के पूछने पर वह सिर्फ यह बताएं कि उनको खाने में सब कुछ मिलता है.
इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन आनन-फानन में स्कूल में मरम्मत का काम भी शुरू करा चुका है. बता दें कि स्कूल में बच्चे तो पढ़ते हैं, लेकिन न तो टॉयलेट की सुविधाएं है और न ही स्कूल की बाउंड्री बनी है. प्रशासन अब टॉयलेट को ठीक करा रहा है और बाउंड्री कराई जा रही है. हर दिन से अलग बच्चों के खाने-पीने के लिए आज बेहतर इंतजाम भी किए गए.