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यूपी MLC चुनाव की वोटिंग आज, बीजेपी के लिए क्यों अहम हो गया है यह चुनाव? 

उत्तर प्रदेश की छह शिक्षक और पांच स्नातक कोटे की एमएलसी सीट के लिए बीजेपी, सपा, कांग्रेस और शिक्षक संघों के अलावा निर्दलीय समेत कुल 199 उम्‍मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी के लिए यह एमएलसी चुनाव काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि उच्चसदन में वह बहुमत के आंकड़े से दूर है. 

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योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव
योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी की 11 MLC सीट पर मंगलवार को वोटिंग
  • बीजेपी और सपा आमने-सामने मैदान में उतरी हैं
  • एमएलसी चुनाव में शर्मा गुट की प्रतिष्ठा दांव पर है

उत्तर प्रदेश की 11 पांच विधान परिषद सीटों के लिए आज मतदान हो रहा है. सूबे की छह शिक्षक और पांच स्नातक कोटे की एमएलसी सीट के लिए बीजेपी, सपा, कांग्रेस और शिक्षक संघों के अलावा निर्दलीय समेत कुल 199 उम्‍मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी के लिए यह एमएलसी चुनाव काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि उच्च सदन में वह बहुमत के आंकड़े से दूर है. वोटिंग सुबह आठ बजे से पांच बजे तक वोटिंग होनी है.

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बीजेपी के लिए क्यों अहम MLC चुनाव
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए यह चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि वह विधान परिषद में भी संख्या बल बढ़ाना चाहती है. यही वजह है कि भाजपा ने स्नातक निर्वाचन खंड की सभी पांच सीटों से और शिक्षक निर्वाचन खंड की छह में से चार सीटों पर सीधे तौर पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.

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स्नातक निर्वाचन खंड की एक सीट पर बीजेपी ने शिक्षक संघ के प्रत्याशी को समर्थन दिया है तो एक अन्य सीट को छोड़ दिया है. वहीं, सपा ने तो सभी 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इसके चलते दोनों दलों के शिक्षक संगठनों के प्रत्याशियों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. 

सत्ताधारी बीजेपी की प्रतिष्ठा का सवाल

बीजेपी से स्नातक कोटे की सीटों पर लखनऊ से अवनीश सिंह पटेल, वाराणसी से केदारनाथ सिंह, आगरा से मानवेंद्र सिंह, मेरठ से दिनेश गोयल और इलाहाबाद झांसी से डॉ. यज्ञदत्त शर्मा मैदान में हैं. वहीं, शिक्षक कोटे के लिए बीजेपी की ओर से लखनऊ से उमेश द्विवेदी, आगरा से दिनेश वशिष्ठ, मेरठ से शिरीषचंद्र शर्मा और बरेली-मुरादाबाद से हरि सिंह ढिल्लो प्रत्याशी हैं. वहीं वाराणसी सीट पर चेतनारायण सिंह और गोरखपुर-फैजाबाद सीट पर अजय सिंह को पार्टी ने समर्थन दिया है. 

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सपा की साख दांव पर लगी हुई है

सपा ने मौजूदा एमएलसी संजय मिश्र और असीम यादव को फिर से मैदान में उतारा है. इसके अलावा अन्य सीटों पर भी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार उतारे गए हैं.  स्नातक कोटे में लखनऊ खंड से राम सिंह राणा, आगरा खंड से डॉक्टर असीम, मेरठ से शमशाद अली, वाराणसी से आशुतोष सिन्हा और इलाहाबाद-झांसी खंड से डॉक्टर मान सिंह मैदान में हैं.

वहीं, शिक्षक कोटे की सीट के लिए लखनऊ से उमाशंकर चौधरी पटेल, वाराणसी से लाल बिहारी, बरेली-मुरादाबाद खंड से संजय कुमार मिश्रा, मेरठ से धर्मेंद्र कुमार, गोरखपुर फैजाबाद खंड से अवधेश कुमार और आगरा से हेवेन्द्र सिंह चौधरी हऊआ किस्मत आजमा रहे हैं. 

शर्मा गुट के सामने ये चुनौती

शिक्षक और स्नातक कोटे के एमएलसी चुनाव में अब तक ओम प्रकाश शर्मा गुट पूरी तरह हावी रहा है, लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी और सपा ने शर्मा गुट के सियासी वर्चस्व तोड़ने के लिए शिक्षक कोटे की सीटों पर पहली बार अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

मेरठ क्षेत्र पर ओम प्रकाश शर्मा का कब्जा है. शर्मा पिछले 48 साल यानी आठ बार से लगातार एमएलसी निर्वाचित होते आ रहे हैं और 9वीं बार फिर से मैदान में उतरे हैं. वहीं, मेरठ की स्नातक सीट से भी उनके ही गुट के हेम सिंह पुंडीर लगातार चार बार से एमएलसी चुने गए और एक बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं.
 

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मई में ही रिक्त हो गई थी सीटें 

दरअसल, प्रदेश में 11 शिक्षक-स्नातक कोटे के विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 6 मई 2020 को पूरा हो गया है. कोरोना संक्रमण के चलते इन 11 सीटों पर चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हो सके हैं और अब इन सीटों पर चुनाव का ऐलान हुआ है. ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी की विधान परिषद में अपनी सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्र की सीटों पर नजर है. बीजेपी पहली बार शिक्षक कोटे की एमएलसी का चुनाव में उतरी है. वहीं, कांग्रेस और सपा भी विधान परिषद चुनाव के जरिए अपनी सियासी ताकत को आजमाना चाहती है. 

विधान परिषद का समीकरण    
बता दें कि विधानसभा में दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत वाली योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार विधान परिषद में अल्पमत में है. यूपी के कुल 100 विधान परिषद सीटें हैं. इनमें से बीजेपी के पास महज 21 सदस्य हैं जबकि सपा के पास 55 सदस्य हैं और बसपा के पास 8 विधान परिषद सदस्य हैं. इसके अलावा कांग्रेस के पास दो सदस्य हैं, जिनमें से एक सदस्य दिनेश प्रताप सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इनके अलावा 5 सदस्य स्नातकों के द्वारा चुने जाते हैं और 6 सदस्य शिक्षक संघ के द्वारा चुनकर आते हैं, जिन पर चुनाव हो रहे हैं. 

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