उत्तर प्रदेश के लखनऊ से बीती 8 जुलाई की सुबह दिल्ली आ रही जनरथ बस के एक्सीडेंट मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, हादसे में 29 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, उसमें ड्राइवर भी मारा गया था. इस हादसे की जांच के लिए पुलिस ने 15 दिन तक एफआईआर दर्ज नहीं की. आनन-फानन में इसे ड्राइवर को झपकी आ जाने की वजह से एक्सिडेंट होने का मामला बता दिया गया.
जानकारी के मुताबिक, 29 लोगों की मौत वाले इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की जरूरत ही नहीं समझी. यहां तक कि इस हादसे की स्थानीय स्तर पर कोई जांच भी नहीं कराई. बगैर जांच के ही अपनी जनरल डायरी यानी जीडी में एंट्री कर दी, जिसे पुलिसिया भाषा में तस्करा कहा जाता है.
तस्करा वह चीज होती है जिसमें पूरी घटना की जानकारी होती है कि कौन सी घटना कितने बजे, कहां और कैसे हुई थी.
हैरानी की बात यह है कि जिस मामले की एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई उसे केवल जीडी में दर्ज कर पुलिस ने जांच भी कर डाली और घटना की वजह भी बता दी.
इस मामले में 15 दिन तक कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई. जब इस मामले में खुलासा हुआ तो फौरन पुलिस अलर्ट हो गई और आनन-फानन में एफआईआर दर्ज करने की कवायद शुरू हो गई. एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस ने उस युवक निहाल सिंह को पकड़ा जो सबसे पहले एक्सिडेंट वाली जगह पर पहुंचा था. उसने कई यात्रियों की जान भी बचाई थी. पुलिस ने इसी युवक से पूरे मामले की तहरीर ली जिसे लिखवाकर उसी के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई.
अब यह मामला सामने आने के बाद पुलिस अधिकारी भी कुछ कहने से बच रहे हैं.
घटना की जानकारी
बता दें कि उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे पर 8 जुलाई की सुबह एक बस हादसे का शिकार हो गई थी. अवध डिपो की जनरथ एक्सप्रेस रोडवेज बस लखनऊ से दिल्ली आ रही थी, तभी आगरा के झरना नाले में जा गिरी. इस हादसे में 29 लोगों की मौके पर मौत हो गई थी.