इटावा सफारी में शुक्रवार रात को एक शेर की मौत हो गई. तौकीर नाम के इस शेर को 15 दिन पहले ही गुजरात से लाया गया था. बीते कुछ दिनों से तौकीर खाना कम खा रहा था. इसे लेकर मथुरा और आईबीआरडी बरेली के डॉक्टरों को सूचना दी गई थी.
पहले मथुरा डॉक्टरों ने आकर जांच की और ग्लूकोज चढ़ाया था. हालांकि, शेर की तबीयत में कोई सुधार नहीं दिखा. उसके बाद गुरुवार (10 अक्टूबर) को मथुरा के डॉक्टर आए. डॉक्टरों की इस टीम ने 1750 एमएल ग्लूकोज चढ़ाया. उसके बाद कल (11 अक्टूबर) दिन में 900 एमएल ग्लूकोज चढ़ाया गया.
बीती रात एक शेर की मौत
इसके बाद शुक्रवार शाम 7:30 बजे तौकीर (शेर) को सफारी के अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में भी 3 बोतल ग्लूकोज चढ़ाया गया. डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद तौकीर को बचाया नहीं जा सका. रात करीब 11 बजे उसकी मौत हो गई. शेर की मौत के कारणों का पता पोस्टमार्टम के बाद चलेगा. पोस्टमार्टम के लिए शेर के शव को बरेली भेज दिया गया है.
गुजरात से लाए गए थे 7 शेर
गौरतलब है कि सफारी में पहले से 8 शेर थे और 7 गुजरात से लाए गए थे. इनको मिलाकर संख्या 15 हो गई थी. शेरनी जसिका ने 4 शावकों को जन्म दिया था, जिसमें 2 महीने पहले एक की मौत हो गई थी. अब तक लॉयन सफारी इटावा में 11 शेरों की मौत (6 शावक 5 शेर शेरनी) की मौत हो चुकी है.
सफारी प्रशासन को दुख
लखनऊ से पहुंचे प्रधान मुख्य संरक्षक वन्य जीव ने बताया, 'हमलोग 7 शेर गुजरात से लेकर आए थे. उत्तर प्रदेश में उन्हें पर्यावरण को एडजस्ट करने में वक्त लगता है. तौकीर नाम के शेर ने अपना खाना बंद कर दिया था. उसकी लगातर देखभाल की जा रही थी, लेकिन उसकी मौत से सफारी प्रशासन को बहुत ज्यादा दुख है. उसकी मौत किस कारण से हुई है, किस बीमारी से हुई है इसका खुलासा पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद होगा.'
क्लाइमेट चेंज बड़ी चुनौती
वहीं, प्रधान मुख्य वन संरक्षक विभागाध्यक्ष उत्तर प्रदेश ने बताया, 'सबसे पहले बताना चाहूंगा कि जो गुजरात से शेर लाए गए थे, उनके लिए क्लाइमेट एक बड़ी चुनौती है, जो अभी हम लोग 7 शेर लाए उसकी पूरी देखरेख कर रहे हैं. लाए गए उन 7 शेरों में से तौकीर आने के बाद से ही खाना कम कर दिया था. डॉक्टरों ने उसे बचाने बहुत कोशिश भी की. तौकीर का जाना हमारे लिए दुखद है.'