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यूपी पंचायत चुनावः महाराजगंज में बीजेपी के खिलाफ उतरी हिंदू युवा वाहिनी

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने हैं. बीजेपी ने हाल ही में अपने उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की है. इसमें महाराजगंज पंचायत चुनाव के लिए हिंदू युवा वाहिनी के एक भी कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया गया है. इससे नाराज होकर हिंदू युवा वाहिनी ने बीजेपी के खिलाफ भी लड़ने का फैसला किया है. वहीं इस चुनाव में पहली बार हुआ है जब यहां के सांसद पंकज चौधरी का परिवार भी नहीं उतर रहा है.

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महाराजगंज पंचायत में जिला अध्यक्ष पद पर सांसद पंकज चौधरी के परिवार का ही कब्जा रहा है.
महाराजगंज पंचायत में जिला अध्यक्ष पद पर सांसद पंकज चौधरी के परिवार का ही कब्जा रहा है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने नहीं दिया हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को टिकट
  • हिंदू युवा वाहिनी ने कहा, चुनाव लड़ेंगे, चाहे सामने कोई भी हो
  • सांसद पंकज चौधरी के परिवार से भी किसी को टिकट नहीं मिला

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए मंगलवार को बीजेपी ने उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी कर दी. इस लिस्ट में महाराजगंज पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों के नाम भी थे. लिस्ट जारी होते ही दो तरह के विवाद खड़े हो गए हैं. पहला तो ये कि इस लिस्ट में महाराजगंज से हिंदू युवा वाहिनी के किसी कार्यकर्ता का नाम नहीं है, जिस वजह से उनमें नाराजगी बढ़ गई है. हिंदू युवा वाहिनी का कहना है कि वो चुनाव लड़ेंगे, चाहे सामने बीजेपी का उम्मीदवार ही क्यों न हो. और दूसरा ये कि पहली बार महाराजगंज में यहां के सांसद पंकज चौधरी के परिवार से कोई जिला पंचायत सदस्य का चुनाव नहीं लड़ेगा. 

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हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष नरसिंह पांडेय का कहना है कि चुनाव लड़ने वाले कार्यकर्ताओं की सूची हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश कार्यालय को सौंपी गई थी. भाजपा की लिस्ट जारी हो गई है. इसमें हमारे कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं दिया गया है. ऐसे में हम सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे. विरोधी खेमे में जो भी प्रत्याशी होंगे उनका डटकर मुकाबला किया जाएगा. चाहे वो भाजपा के ही प्रत्याशी क्यों ना हों.

वहीं, महाराजगंज जिला गठन होने के बाद से ही अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी चौधरी परिवार के सदस्यों या भरोसेमंद करीबियों के पास ही रही थी. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में ये दूसरी बार है कि सांसद का परिवार चुनावी रेस से बाहर हुआ है. इससे पहले 2010 के चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट अनुसूचित महिला के लिए आरक्षित हुई थी. उस समय सांसद ने अपने भरोसेमंद नंदलाल अंबेडकर की पत्नी धर्मा देवी को चुनाव मैदान में उतारा था. 2015 में यहां से सांसद पंकज चौधरी के भतीजे राहुल चौधरी उतरे थे, लेकिन जिला पंचायत सदस्य का चुनाव तक जीत नहीं पाए थे. इस बार माना जा रहा था कि चौधरी परिवार का ही कोई सदस्य इस बार पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद अध्यक्ष बनेगा. लेकिन बीजेपी की गाइडलाइंस ने इस पर ब्रेक लगा दिया. 

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दरअसल, बीजेपी ने सख्त हिदायत दी थी कि चुनावों में भी किसी भी सांसद या विधायक के किसी परिजन या रिश्तेदार को उतारा नहीं जा सकता. इसलिए पंकज चौधरी के परिवार से इस बार किसी ने नामांकन भी नहीं भरा और खुद को इस चुनाव से अलग कर लिया.

ब्राह्मणों की नाराजगी सामने आई 
जिला पंचायत सदस्य पद के लिए बीजेपी की सूची जारी होते ही ब्राह्मणों की नाराजगी खुल कर सामने आ गई है. वार्ड संख्या 8 से सांसद पंकज चौधरी के प्रतिनिधि जगदीश मिश्रा सियासी मैदान में उतरे थे. प्रचार भी शुरू हो गया था, लेकिन सूची में उनका भी नाम नहीं है. सियासी विश्लेषकों का कहना है कि कुर्मी और पटेल के वोट को साधने के लिए ब्राह्मण उम्मीदवार को हटाया गया है. ऐसे में इस वार्ड से जवाहर लाल नेहरू पीजी कालेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सचिन्द्र नाथ द्विवेदी ने चुनावी समर में कूद गए हैं. उनका कहना है कि जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में बीजेपी ने ब्राह्मणों की उपेक्षा की है. जगदीश मिश्रा को चुनाव मैदान में उतार प्रचार-प्रसार कराने के बाद सूची से उनका नाम काट दिया है. ब्राह्मणों की अस्मिता के लिए वो चुनावी मैदान में उतरे हैं.

 

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