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पंचायत चुनाव: आरक्षण पर UP सरकार को हाईकोर्ट से झटका, 2015 को मानना होगा बेस ईयर

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए अब साल 2015 को ही बेस माना जाएगा. सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दिया आदेश (फाइल फोटो)
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दिया आदेश (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी पंचायत चुनाव को लेकर HC का आदेश
  • आरक्षण के लिए 2015 हो बेस ईयर: HC

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को आदेश दिया कि प्रदेश में सीटों के आरक्षण में साल 2015 को ही बेस ईयर बनाया जाए. साथ ही अदालत ने कहा है कि राज्य में 25 मई तक सभी चुनाव कराए जाएं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश दिया है कि इस पूरी प्रक्रिया को 27 मार्च तक पूरा किया जाए और आगे चुनावों की तैयारी कर दी जाए. सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि राज्य सरकार को पंचायत चुनाव में 2015 को बेस ईयर बनाने में कोई दिक्कत नहीं है.

हाईकोर्ट के आदेश से साफ है कि यूपी में अब पंचायत चुनाव नए आरक्षण से कराए जाएंगे. बता दें कि बीते दिनों यूपी सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की सूची जारी की थी, जिसपर कई तरह की आपत्ति थी.

शुक्रवार को लगी थी फाइनल सूची पर रोक
आपको बता दें कि शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव आरक्षण की फाइनल सूची पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अब सोमवार के फैसले पर हर किसी की निगाह थी.

दरअसल, याचिकाकर्ता अजय कुमार की याचिका के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की फाइनल सूची पर रोक लगाई थी. अदालत ने यूपी सरकार, चुनाव आयोग से जवाब मांगा था.

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क्या थी याचिकाकर्ता की दलील?
अदालत में याचिकाकर्ता की दलील थी कि प्रदेश में पंचायत चुनाव में 1995 को बेस वर्ष ना माना जाए और इसमें बदलाव करते हुए 2015 को ही बेस वर्ष बनाया जाए. याचिकाकर्ता की ओर से यूपी सरकार के 11 फरवरी, 2021 के फैसले पर आपत्ति जताई गई थी. 


 

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