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यूपी के पंचायत चुनाव में मोदी के क्षेत्र में BJP का बुरा हाल, बसपा ने दिखाया दम

यूपी में पंचायत चुनाव के नतीजों से सपा को जबरदस्त झटका लगा है. सत्ता में रहते हुए भी समाजवादी पार्टी सरकार में कई मंत्रियों के रिश्तेदार बुरी तरह से हारे हैं. जिनमें फैजाबाद में मंत्री अवधेश प्रसाद की पत्नी और बेटा, रायबरेली में मंत्री मनोज पांडे के भाई और सीतापुर में राज्यमंत्री रामपाल राजवंशी की दो बेटियां शामिल हैं. पीलीभीत से, दो दिन पहले हुए कैबिनेट विस्तार में प्रमोशन पाए मंत्री रियाज अहमद के दो भाई और एक दामाद भी चुनाव हार गए.

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यूपी में पंचायत चुनाव के नतीजों से सपा को जबरदस्त झटका लगा है. सत्ता में रहते हुए भी समाजवादी पार्टी सरकार में कई मंत्रियों के रिश्तेदार बुरी तरह से हारे हैं. जिनमें फैजाबाद में मंत्री अवधेश प्रसाद की पत्नी और बेटा, रायबरेली में मंत्री मनोज पांडे के भाई और सीतापुर में राज्यमंत्री रामपाल राजवंशी की दो बेटियां शामिल हैं. पीलीभीत से, दो दिन पहले हुए कैबिनेट विस्तार में प्रमोशन पाए मंत्री रियाज अहमद के दो भाई और एक दामाद भी चुनाव हार गए.

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चुनावों के दौरान बूथ कैप्चरिंग को लेकर विवादों में आने वाले वरिष्ठ सपा नेता और पैक्सफेड के अध्यक्ष तोताराम यादव की भी जबरदस्त हार हुई. वोटिंग के दिन उनका बूथ लूटते हुए वीडियो वायरल होने के बाद वे सुर्खियों आ गए थे. उन्हें सिर्फ 412 वोट ही मिले हैं और वे 20वें स्थान पर रहे.

यादव परिवार के करीबियों की करारी हार
यादव परिवार के करीबियों में फिरोजाबाद में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह के पौत्र और सपा सांसद तेज प्रताप के मामा प्रमेंद्र यादव और नानी रामसखी यादव भी चुनाव हार गईं. फैजाबाद में ही दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री लीलावती कुशवाहा की बेटी अलका कुशवाहा चुनाव हार गईं. यूपी के कई मंत्रियों के रिश्तेदार अब भी या तो काउंटिंग में पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं या फिर हार की कगार पर हैं. हालांकि कुछ मंत्रियों के रिश्तेदारों को जीत भी मिली है. जिनमें कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप के भाई अशोक सिंह हैदरगढ़ से, सपा सांसद नरेश अग्रवाल के भाई की पत्नी कामिनी अग्रवाल हरदोई से और शाहिद मंजूर के बेटे नवाजिश मेरठ से चुनाव जीते.

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मोदी के गढ़ में औंधे मुंह गिरी बीजेपी
दूसरी ओर वाराणसी जिले में बीजेपी को झटका लगा है. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव जयापुर क्षेत्र में बीजेपी समर्थित प्रत्याशी रिंकू सिंह की हार हुई. रिंकू ने जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ा था. यहां निर्दलीय उम्मीदवार गुड्डू तिवारी की जीत हुई. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से बीजेपी ने 48 में से कुल 8 ही सीटों पर जीत हासिल की. कुल मिला कर प्रदेश भर में पंचायत चुनावों में जिस तरह की जीत की बीजेपी को उम्मीद थी वो जमीन पर सही साबित होता नहीं दिखी. हालांकि अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बता रहे हैं कि उन्होंने सिर्फ 25 से 30 प्रतिशत सीटों पर ही अपना दावा किया था.

अमेठी में कांग्रेस की हालत भी हुई पतली
इधर नेहरू-गांधी परिवार के अपने गढ़ अमेठी में 36 में से सिर्फ 8 सीटें जीतने वाली कांग्रेस की हालत भी ठीक नजर नहीं आ रही है. रायबरेली में भी 34 में से कांग्रेस मात्र 6 सीट ही जीत पाई. कुल मिला कर यूपी में जमीनी स्तर के इन चुनावों में कांग्रेस अब भी चौथे नंबर की पार्टी ही नजर आ ही है.

ओवैसी की पार्टी ने खोला खाता
इसके अलावा यूपी में पहली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने खाता खोला. और न सिर्फ खाता खोला बल्कि दो सीट बलरामपुर, एक आजमगढ़ और एक मुजफ्फरनगर से जीत कर कुल चार सीट कब्जा लीं.

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बसपा ने की जबरदस्त वापसी
सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे बसपा समर्थित उम्मीदवारों ने दिखाए. मिसाल के तौर पर सहारनपुर में 49 जिला पंचायत सीटों में से 25 पर बसपाके कैंडिडेटों ने कब्जा जमाया. जबकि फैजाबाद में 41 में से 15, हाथरस में 25 में से 13 और हापुड़ में 19 में से 7 सीटें जीतकर बसपा ने कम से कम बीजेपी को तो कड़ी टक्कर दी है.

हालांकि पंचायत चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ा जाता लिहाजा हमेशा की तरह जीतने वाले प्रत्याशियों की जीत का श्रेय लेने और हारे हुए प्रत्याशियों को खुद से अलग करने में पार्टियां और उनके शीर्ष नेता वक्त नहीं लगाएंगे. अभी तक के नतीजे और रुझान मिलाकर फिलहाल समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार नंबर एक पर, बसपा नंबर दो पर, बीजेपी नंबर तीन और कांग्रेस पार्टी नंबर चार पर नजर आ रही हैं. सारे नतीजे आज रात तक आने की उम्मीद है.

परिणाम आने के बाद निकले बयानों के तीर
यूपी बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि बीजेपी परिणामों से संतुष्ट है. हमने 25 से 30 प्रतिशत नतीजों के पक्ष में जाने की उम्मीद थी. वैसा ही हुआ है. हम 25 से 30 परसेंट ही हैं. बीजेपी ने पहली बार इन चुनावों को लड़ा है. हमने उपस्थिति दर्ज कराई है.

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समाजवादी पार्टी के नेता यशवंत सिंह ने बताया कि चुनाव परिणाम सपा के पक्ष में हैं. कुछ जगहों पर दूसरी पार्टियों के कैंडिडेट जीते हैं. मगर सारे जिलों को देखेंगे तो जनता का फैसला पूर्ण बहुमत से सपा के ही पक्ष में आया है.

कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि हम जानते हैं सपा को पहले से ही प्रदेश की जनता नकारना तय कर चुकी थी. साथ ही साथ बीजेपी जो बड़े जोर-शोर से चुनाव लड़ी थी उसका भी बुरा हाल हुआ है. कांग्रेस पार्टी ने पहले से बेहतर किया है. ये सुनिश्चित हो गया है कि यूपी से सपा और बीजेपी का सफाया होना है.

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