PF Investment Scam UP: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पीएफ घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. तीन साल पहले सामने आए इस घोटाले की जांच कर रही CBI ने यूपी सरकार से तीन IAS अफसरों के खिलाफ जांच करने की इजाजत मांगी है. इनमें संजय अग्रवाल, अपर्णा यू और आलोक कुमार हैं. ये तीनों अधिकारी 2013 से 2019 तक अलग-अलग समय में UPPCL यानी उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पोस्टेड रहे हैं.
क्या है ये मामला?
- ये घोटाला मार्च 2019 में सामने आया था. मार्च 2020 में इस घोटाले की जांच का जिम्मा CBI को सौंपा गया.
- CBI ने अपनी जांच में पाया कि भविष्य निधि के तहत UPPCL के कर्मचारियों की 4,323 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में लगाया गया. इसमें भी 99% पैसा एक ही कंपनी लगी है. इसका नाम है दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड यानी DHFL में लगाया गया.
- आरोप है कि DHFL में 4,122 करोड़ रुपये की रकम निवेश की गई. इसमें से 2,268 रुपये अब भी बकाया है. मतलब DHFL में जो रकम निवेश की गई थी, उसमें से 1,854 करोड़ रुपये तो वापस निकाल लिए गए, लेकिन 2,268 रुपये फंसे हैं.
- DHFL पर गड़बड़ी के कई मामले चल रहे हैं. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, DHFL पर शेल कंपनियों के जरिए 31,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का आरोप भी है. ये हेराफेरी उसने 97,000 करोड़ रुपये के लोन में की है.
UPPCL की क्या भूमिका है?
- ये पूरा खेल UPPCL के अधिकारियों की निगरानी में हुआ. आरोप है कि DHFL में सरकारी गाइडलाइंस के खिलाफ जाकर निवेश किया गया. ये पैसा कर्मचारियों की बचत का था.
- इस मामले में एपी मिश्रा (UPPCL के तब के MD), प्रवीण गुप्ता और सुधांशु द्विवेदी से पूछताछ हुई थी. तीनों फिलहाल जेल में बंद हैं.
तीन IAS अफसर कौन हैं, जिससे पूछताछ की अनुमति मांगी है?
1. संजय अग्रवालः उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईएएस अफसर हैं. UPPCL के अध्यक्ष रहे हैं. अग्रवाल अभी कृषि सचिव हैं.
2. आलोक कुमारः ये भी उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईएएस अफसर हैं. UPPCL के अध्यक्ष रहे हैं. कुमार अभी केंद्र में ऊर्जा सचिव हैं.
3. अपर्णा यूः 2001 बैच की आईएएस अफसर हैं. UPPCL की प्रबंध निदेशक रह चुकी हैं. अपर्णा अभी राज्य में प्रधान सचिव के पद पर तैनात हैं.