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26 जनवरी को UP पुलिस देगी थ्री-नॉट-थ्री राइफल को विदाई, अफसर बताएंगे गुर

उत्तर प्रदेश पुलिस के पास अब इंसास राइफल होगा और पुरानी राइफल की विदाई होगी. 26 जनवरी को परेड के साथ थ्री-नॉट-थ्री हमेशा के लिए यूपी पुलिस से विदा हो जाएगा.

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UP पुलिस की परेड की फाइल फोटो
UP पुलिस की परेड की फाइल फोटो

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  • 1945 से अभी तक UP पुलिस कर रही है इस्तेमाल
  • 1955 से इस्तेमाल न करने का दिया गया था आदेश

उत्तर प्रदेश पुलिस के पास अब इंसास राइफल होगा और पुरानी राइफल की विदाई होगी. 26 जनवरी को परेड के साथ थ्री-नॉट-थ्री हमेशा के लिए यूपी पुलिस से विदा हो जाएगा. इसके लिए एक शानदार विदाई समारोह आयोजित किया जाएगा. यूपी पुलिस अब अब इंसास और एके-47 जैसी अत्याधुनिक राइफल इस्तेमाल कर रही है.

यूपी पुलिस ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश पुलिस के पास पर्याप्त संख्या में इंसास राइफल मौजूद है, इसलिए पुराने राइफल और 3 नोट 3 की विदाई हो रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी पुलिस के पास 58 हजार से अधिक .303  बोर राइफलें थीं. 1995 में इन राइफलों के इस्तेमाल न करने का आदेश जारी किया गया था.

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यूपी पुलिस ने कहा कि .303 बोर राइफल का इस्तेमाल न करने का आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है. लंबे समय तक यह यूपी पुलिस की शान रही है. 26 जनवरी के मौके पर पहले की तरह .303 बोर राइफल की परेड हो और इस शानदार हथियार का इस्तेमाल बंद करने का ऐलान किया जाए. इस राइफल का इस्तेमाल पुलिस साल 1945 से कर रही थी.

एडीजी लॉजिस्टिक विजय कुमार कुमार मौर्य ने कहा कि 26 जनवरी को परेड के दौरान सभी एसपी और एसएसपी अपने भाषण में .303 बोर राइफल की खूबियों के बारे में बताएंगे. बताया जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में पहली बार प्रयोग में लाई गई इस राइफल को अंग्रेजों ने भी अपनाया था. इस राइफल की बुलेट में नौ इंच मोटी लोहे की चादर को भेदने तक की क्षमता रखती थी.

कैसे बना .303 बोर राइफल

एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1880 में ब्रिटिश सरकार अपनी आर्मी के लिए अच्छी राइफल की खोज में थी. इनफील्ड कंपनी में काम करने वाले एक कनाडियन नागरिक जेम्स पेरिस ली ने .303 बोर राइफल बनाई. इसका इस्तेमाल ब्रिटिश आर्मी ने पहले विश्वयुद्ध के दौरान किया. भारत में इसका इस्तेमाल साल 1939 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान शुरू हुआ था.

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साल 1962 में भारतीय सैनिकों ने इसी राइफल के बूते चीन की सेना का मुकाबला किया था. बाद में इसमें मैगजीन लगाकर एक साथ छह फायर करने की क्षमता विकसित की गई. यह राइफल साल 1945 में यूपी पुलिस को दी गई थी. इससे पूर्व मस्कट 410 राइफलों का इस्तेमाल किया जाता था.

रिपोर्ट के मुताबिक, इंसास राइफल का उपयोग 1999 में कारगिल के युद्ध में भी किया गया था. थ्री-नॉट-थ्री की अपेक्षा काफी कम वजन की होने के साथ यह चलाने में भी आसान है. 400 मीटर तक अचूक निशाना लगाने में सक्षम इंसास में दूरबीन व नाइट-विजन डिवाइस लगाने की भी व्यवस्था है.

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