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BSP ने कैंडिडेट उतारकर दिलचस्प बनाई राज्यसभा चुनाव के लिए होने वाली फाइट 

बसपा ने अपने राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है. बीएसपी के इस दांव ने बीजेपी के 9वीं राज्यसभा सीट जीतने की राह मुश्किल कर दी है और साथ ही सपा व कांग्रेस के सामने भी दुविधा की स्थिति खड़ी कर दी है. 

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बसपा प्रमुख मायावती
बसपा प्रमुख मायावती
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं
  • सपा से रामगोपाल यादव नामाकंन कर चुके हैं
  • बसपा ने रामजी गौतम को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है

उत्तर प्रदेश में दस राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला कर निर्विरोध निर्वाचन की संभावना पर ग्रहण लगा दिया है. बसपा ने अपने राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है. बीएसपी के इस दांव ने बीजेपी के 9वीं राज्यसभा सीट जीतने की राह मुश्किल कर दी है और साथ ही सपा व कांग्रेस के सामने भी दुविधा की स्थिति खड़ी कर दी है. 

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दिलचस्प हुआ मुकाबला

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी के आठ और सपा की एक राज्यसभा सीट पर जीत तय है. बसपा और कांग्रेस अपने विधायकों की संख्या के आधार पर उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने की स्थिति नहीं है, जिसके चलते बीजेपी 9वीं राज्यसभा सीट भी जीतने की कवायद में जुटी है. ऐसे में बसपा प्रमुख मायावती ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है, जिसके चलते अब राज्यसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. 

सपा ने एक बार फिर से प्रो. रामगोपाल यादव को अपना राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है, जिन्होंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. सपा के विधायकों के आंकड़े के आधार पर रामगोपाल यादव की जीत तय मानी जा रही है. इसके बाद भी दस वोट अतिरिक्त होने के बावजूद सपा ने किसी अन्य प्रत्याशी को नहीं उतारा है. ऐसे में मायावती  बसपा के रामजी गौतम को राज्यसभा चुनाव मैदान में उतारकर एक तीर से कई निशाना साधना चाह रही हैं.

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रामजी 26 अक्टूबर को करेंगे नामांकन

बसपा के रामजी गौतम 26 अक्टूबर को राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. गुरुवार को पार्टी विधायकों की बैठक में नामांकन पत्र पर प्रस्तावकों के हस्ताक्षर भी करा लिए गए. हालांकि, बीजेपी ने अपने राज्यसभा प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है, लेकिन उसके आठ उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित है. ऐसे में बीजेपी अगर 9 प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरी है तो ऐसी स्थिति में राज्यसभा की 10वीं सीट के लिए चुनाव होना लाजमी है. 

माना जा रहा है कि बीजेपी को हराने के लिए सपा, कांग्रेस के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा कई निर्दलीयों का भी बसपा को समर्थन मिल सकता है. ऐसे में अगर बसपा प्रत्याशी को सपा और कांग्रेस समर्थन नहीं देंगी तो मायावती को पलटवार करने का मौका मिलेगा. बसपा प्रत्याशी के हारने की स्थिति में पार्टी नेताओं द्वारा जनता के बीच यह सवाल उठाने का मौका मिल जाएगा कि आखिर बीजेपी का मददगार कौन है? बसपा ने दलित समुदाय से रामजी गौतम को उतारा है, जिसके पीछे भी राजनीतिक संदेश छिपा है.  

7 पर हो रहे उपचुनाव

उत्तर प्रदेश के मौजूदा विधानसभा में अभी 395 (कुल सदस्य संख्या-403) विधायक हैं और 8 सीटें खाली हैं, जिनमें से 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए हर सदस्य को करीब 36 वोट चाहिए. यूपी में मौजूदा समय में बीजेपी के पास 306 विधायक हैं जबकि 9 अपना दल और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं, सपा 48, कांग्रेस के सात, बसपा के 18 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के चार विधायक हैं. 

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मायावती प्रत्याशी उतारकर निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना को खत्म कर बड़ा संदेश देना चाह रही हैं. हालांकि, मायावती के इस दांव की काट के लिए बीजेपी किसी निर्दलीय के लिए रास्ता बना सकती है. ऐसा कर वह विपक्षी पार्टियों की एकजुटता को रोकने के साथ ही उनमें सेंध लगा सकती है. ऐसे में अब सबकी नजरें बीजेपी के प्रत्याशियों की लिस्ट पर है कि वो कितने लोगों को मैदान में उतारती है. 


 

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