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चिन्मयानंद रेप केसः छात्रा को रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने परीक्षा देने से रोका

पूर्व गृह मंत्री चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगाने वाली शाहजहांपुर की पीड़ित लॉ छात्रा के एलएलएम की परीक्षा देने पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने रोक लगा दी है. अब छात्रा का एक साल खराब होना तय माना जा रहा है. विश्वविद्यालय ने छात्रा को परीक्षा देने से रोकने के पीछे क्लास अटेंड न करने को वजह बताया है.

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चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगाने वाली छात्रा (फाइल फोटोः PTI)
चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगाने वाली छात्रा (फाइल फोटोः PTI)

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  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ था दाखिला
  • कोर्ट ने दिया था परीक्षा दिलवाने का आदेश
  • विश्वविद्यालय ने शून्य अटेंडेंस को बताया वजह

पूर्व गृह मंत्री चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगाने वाली शाहजहांपुर की पीड़ित लॉ छात्रा के एलएलएम की परीक्षा देने पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने रोक लगा दी है. अब छात्रा का एक साल खराब होना तय माना जा रहा है. विश्वविद्यालय ने छात्रा को परीक्षा देने से रोकने के पीछे क्लास अटेंड न करने को वजह बताया है. गौरतलब है कि छात्रा रंगदारी मांगने के केस में जेल में बंद है.

जेल में बंद होने की वजह से वह क्लास अटेंड नहीं कर पाई. उसकी अटेंडेंस जीरो रही और अब जीरो अटेंडेंस को आधार बनाकर विश्वविद्यालय ने उसे परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी, जबकि कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता को पुलिस अभिरक्षा में परीक्षाएं दिलाने के लिए ले जाया गया था. पीड़िता के वकील और पिता ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताया है. दोनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का ऐलान किया है.

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चिन्मयानंद के महाविद्यालय में लिया था दाखिला

पीड़िता ने शाहजहांपुर स्थित चिन्मयानंद के स्वामी सुहेलदेव महाविद्यालय में दाखिला लिया था. इसी महाविद्यालय से उसने एलएलएम प्रथम वर्ष की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी. रेप का मामला सामने आने के बाद पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि उसे किसी और जगह से कोर्स पूरा करने दिया जाए. पीड़िता की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि पीड़िता की इच्छा के अनुसार किसी विश्वविद्यालय में उसका दाखिला कराया जाए और परीक्षा देने की अनुमति दी जाए.

कोर्ट के आदेश पर हुआ था दाखिला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही रुहेलखंड विश्वविद्यालय में पीड़िता का दाखिला हुआ था. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जेल प्रशासन ने पुलिस अभिरक्षा में पीड़िता को परीक्षा की समय सारणी के अनुसार विश्वविद्यालय भेजा भी, लेकिन उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया. हालांकि एलएलएम की दूसरे वर्ष की छात्रा को पिछले साल के एक पेपर मे बैक पेपर की परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन द्वितीय वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई.

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