आम चुनाव की गहमागहमी के बीच यूपी सरकार दूसरे चरण की लैपटॉप खरीद प्रक्रिया शुरू करने से पहले योजना की समीक्षा कर यह थाह लेगी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा स्टूडेंट्स को अब तक फ्री बांटे गए लैपटॉप अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में किस हद तक सफल रही.
इस काम में निजी कंपनी की मदद ली जाएगी. मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय किया गया है. दरअसल, सरकार पर घोषणा पत्र में किए वादे के अनुसार 78 लाख से ज्यादा टैबलेट बांटने का दबाव है, जबकि 32 लाख से ज्यादा लैपटॉप देने का वादा भी निभाना है. नए वित्तीय वर्ष में यह संख्या बढक़र 48 लाख हो जाएगी. सरकार जानना चाहती है कि अब तक बांटे गए लैपटॉप से युवाओं को कितना फायदा मिला?
विद्यार्थियों ने क्या सीखा और वे इसमें तकनीकी तौर पर क्या सुधार चाहते हैं?
उपरोक्त बातों का पता चलाने के लिए सरकार निजी कंपनियों से सर्वे कराने पर विचार कर रही है. कोशिश है कि लैपटॉप और टैबलेट खरीद योजना की कंसल्टेंट एजेंसी की अगुआई में यह काम हो. यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट में योजना के लिए 2418 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है.
डेढ़ साल चली खरीद और आवंटन प्रकिया के बाद भी वर्तमान में कई जिलों में आपूर्तिकर्ता कंपनी का भुगतान बकाया है. इसी तरह आगे की खरीद प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है.