उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में 25 गांवों के लोगों ने एक साथ मिलकर 'जल सत्याग्रह' शुरू कर दिया है. दरअसल गांव वालों की मांग है कि उनके जिले में गंगा नदी पर एक पुल और तटबांध बनाया जाए. ग्रामीणों ने मंगलवार से अपना यह आंदोलन शुरू करते हुए कहा है कि यह तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं कर देती.
गांव वाले घुटने भर पानी में खड़े होकर कर रहे जल सत्याग्रह
बिजनौर के दैबलगढ़ गांव में लगभग 100 ग्रामीण विरोध प्रदर्शन करते हुए प्रतिदिन नदी में घुटने भर गहरे पानी में खड़े होते हैं. इस आंदोलन से उन महिलाओं में उम्मीद जगी है, जिन्हें पशुओं के लिए चारे की तलाश में नदी पार कर के जाना पड़ता है.सोमवार को 'महापंचायत' के दौरान आंदोलन करने का निर्णय लिया गया था. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह आंदोलन अनिश्चितकालीन है. पूरे घटनाक्रम को देखते हुए प्रशासन ने नदी के किनारे भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है.
भारतीय किसान यूनियन ने दिया आंदोलन को समर्थन
वहीं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दे दिया है. भाकियू के राज्य महासचिव राम अवतार सिंह और जिला अध्यक्ष दिगंबर सहित कई नेताओं ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इस दौरान उत्तराखंड के कुछ नेता भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.
भीड़ को संबोधित करते हुए भाकियू नेता राजेंद्र सिंह ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में गंगा ने हजारों बीघा कृषि भूमि को नष्ट कर दिया है. कटाव के कारण सात गांवों के लोग विस्थापित हो गए हैं. नदी लगातार भूमि का क्षय कर रही है, लेकिन प्रशासन ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति लगातार उदासीनता दिखा रहा है.'
लोगों की मांग, गंगा पर बने पुल और तटबांध
गांव के लोग नदी के उस पार स्थित अपने खेतों तक पहुंचने के लिए एक अस्थायी पुल चाहते हैं. इसके अलावा वे बलवाली से रावली तक 10 किलोमीटर लंबे तटबांध की भी मांग कर रहे हैं. बिजनौर के उप जिला अधिकारी (एसडीएम) बृजेश सिंह ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की और उच्च अधिकारियों के समक्ष उनकी मांगों को उठाने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा, 'हम लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और सिंचाई विभागों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि हम इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे.'
पुल बनाने की मांग के साथ यह आंदोलन तब शुरू हुआ है जब पूरे जिले में नदियां अपने उफान पर हैं और लोगों के पास कोई उपाय नहीं बचा है.