उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की खदानों में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण के मामले में राज्य महिला आयोग ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र लिखा है. पत्र में उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच करने की मांग की गई है.
डीजीपी को लिखी चिट्ठी में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने कहा है कि बहुत खेद जनक है कि लगातार चित्रकूट से महिला उत्पीड़न की खबर आ रही है. ऐसा प्रतीत होता है कि स्थानीय प्रशासन के जरिए इस घटना को गंभीरता से लेते हुए महज कागजी कार्रवाई और खानापूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है जो शासन की मंशा के विपरीत है.
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पत्र में लिखा गया है कि महिला यौन शोषण के प्रकरणों पर संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करते हुए पीड़ितों को जल्दी इंसाफ दिलाना सबसे महत्वपूर्ण है. ऐसे में जरूरी है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक टीम को गठित कर उच्च स्तरीय कमेटी पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम करे.
दूसरी ओर, इस मामले की जांच के लिए प्रदेश के बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तीन सदस्यों की टीम शुक्रवार को अकबरपुर गांव पहुंची और वहां के लोगों से बातचीत कर जानकारी जुटाई. इंडिया टुडे की ओर से बाल उत्पीड़न की घटनाओं को उजागर करने के बाद प्रशासन सक्रिय हो गया है और अब तक कई टीमें चित्रकूट के गांव का दौरा कर चुकी हैं.
राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष का पत्र
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क्या है मामला?
बता दें कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में कोरोना संकट के बीच अपना पेट पालने के लिए नाबालिग लड़कियां मजदूरी करती हैं, लेकिन मजदूरी के नाम पर मिलने वाले चंद रुपयों के बदले में उन्हें अपने जिस्म का सौदा करने के लिए मजबूर किया जाता है. आजतक ने इस खबर का पर्दाफाश किया तो प्रशासन जागा और आधी रात को ही गांव में डेरा डालने पहुंच गया.