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'देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद के दिल में नहीं थी भारतीयता', UP के मंत्री का विवादित बयान

यूपी सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद के हृदय में भारत व भारतीयता के प्रति स्थान नहीं था. उन्होंने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में ये बयान दिया.  

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यूपी सरकार में मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला (फोटो- ट्विटर)
यूपी सरकार में मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला (फोटो- ट्विटर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश के पहले शिक्षा मंत्री को लेकर यूपी के मंत्री का बेतुका बयान
  • पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू पर भी निशाना साधा
  • विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया ये बयान

उत्तर प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद को लेकर बेतुकी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद के हृदय में भारत व भारतीयता के प्रति स्थान नहीं था. यही नहीं मंत्री ने इतिहास में भारतीय नायकों शिवा जी व महाराणा प्रताप की उपेक्षा का आरोप भी लगाया है. उन्होंने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में ये बयान दिया.

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संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने जब गुरु तेग बहादुर जी से आग्रह किया कि आइए हमारी रक्षा कीजिए, औरंगजेब की सेना हम पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बना रही है. लेकिन जब गुरु तेग बहादुर वहां गए, तो औरंगजेब की सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर, उनका सिर कलम कर दिया. लेकिन इन सब बातों को इतिहास से हटा दिया गया. जो चीजें दिखाई गईं, उनमें अकबर महान शामिल है, जबकि आईने अकबरी में और अकबर के समकालीन इस्लामी इतिहासकारों ने भी उसे कभी महान नहीं कहा. 

उन्होंने आगे कहा कि जो लोग भारत को अखंड रखना चाहते थे, जिनके हृदय में पीड़ा थी कि भारत का प्रथम विश्वविद्यालय तक्षशिला जो अफगानिस्तान में है वह हमारा है और हमारा होना चाहिए, उन सारे लोगों को सांप्रदायिक कहा गया. 

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मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने भारत के विभाजन को लेकर भी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि जहां के लोग पाकिस्तान नहीं बनाना चाहते थे, वहां पाकिस्तान बना और जहां के लोगों ने पाकिस्तान के गठन के लिए ज्यादा वोट किया था, वे देश में ही रह गए. उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के बाद भी एमसी छागला, नूरुल हसन और हुमायूं, कबीर जैसे लोगों ने भारत की शिक्षा पद्धति को नुकसान पहुंचाया. 

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