उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की देनदारी लंबित चल रही है. इसे लेकर किसानों में काफी रोष है. किसान निकाय-राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कई जिलों की चीनी मिलों से बकाया गन्ना भुगतान शीघ्र कराने और गत वर्ष में बकाया गन्ना भुगतान करने के बाद हाईकोर्ट के आदेशानुसार उसका ब्याज दिए जाने की मांग की है. किसान सोमवार को यूपी गन्ना आयुक्त के कार्यालय और सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे.
गन्ना किसानों की मांग है कि राज्य सरकार किसानों को पेराई सत्र 2011-12 में 15% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करें. अदालत में दिए गए अपने हलफनामे के अनुसार, राज्य सरकार से इसी तरह से सीजन 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के लिए 7% प्रति वर्ष की दर से ब्याज देने की मांग की. किसान 15-16% की दर से पेराई सत्र 2015-16 के लिए ब्याज का भुगतान करने की भी मांग कर रहे हैं.
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि सरकार को 6 अगस्त 2012 को अदालती फैसले का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को ब्याज सहित बकाया भुगतान नहीं किया जाता है, तब तक कृषि ऋण की कोई वसूली नहीं की जा सकती. संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने और किसानों को न्याय सुनिश्चित करने की अपील की है.
बता दें, हाल ही में नीति आयोग ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि धान और गन्ने की खेती के जरिए पानी की बर्बादी की जा रही है. समस्या की वजह का उल्लेख करना ही काफी नहीं है, इसका समाधान भी करना होगा और यह आसान काम नहीं है. इसे लेकर अब हरियाणा सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार भी जमीन के पानी का स्तर गिरने से रोकने के लिए कोशिशें कर रही है.
बता दें हरियाणा सरकार ने भू-जल स्तर गिरने से रोक लगाने के लिए ऐसी योजना बनाई है जिसमें धान को छोड़कर पानी की कम खपत वाली फसलें उगाने वाले किसानों को सरकार नकद सहायता देगी. यूपी सरकार भी अब वेस्ट यूपी में जल संकट को देखते हुए ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन को बढ़ावा दे रही है.