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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में महिला जिला अस्पताल ने वेस्ट मैनेजमेंट की एक अनोखी मिसाल पेश की है. यहां खाली ग्लूकोज की बोतल, बोतल टांगने वाले स्टैंड, फिनायल की बोतल और एंबुलेंस के खराब टायर की मदद से गार्डन तैयार किया गया है. पीलभीत में जिला महिला अस्पताल जाएंगे तो आपको नजर आएगा कि कहीं फिनायल की बोतल में फूल लगे हैं तो कहीं ग्लूकोज टांगने वाले स्टैंड पर टोकरी टंगी हैं. कहीं सरकारी एंबुलेंस के टायर सजे हुए हैं. यहां टूटे बेड, आईवी स्टैंड, बेबी बास्केट, एम्बुलेंस के टायर, फिनायल की बोतलें, मरीजों के बेड की साइड टेबल ,बच्चों के टूटे झूले, ट्रे, जैसी कई चीजें का इस्तेमाल गार्डन बनाने में किया गया है.
पीलीभीत में महिला जिला अस्पताल के अंदर इसी तरह से कुल ये 5 गार्डन बनाए गए हैं. यह गार्डन पीलीभीत की महिला जिला अस्पताल की सीएमएस डॉक्टर अनिता चौरसिया ने खुद बनाए हैं. इन उपवनों को देखकर डॉ. चौरसिया से लोग अपने घर, ऑफिस, नगर पालिका, शहर के चौराहे को कैसे सजाएं, इसका आइडिया लेने आते हैं. महिला अस्पताल में पांचों वाटिका के अलग अलग नाम भी रखे गए हैं. सुबह शाम इन उपवनों में बांसुरी की धुन भी सुनाई देती है. अस्पताल में मरीजों के परिजन भी इन वाटिकओं में समय व्यतीत करते हैं.
डॉ. अनिता चौरसिया सीएमसी, महिला जिला अस्पताल ने बताया कि उन्हें बचपन से बागवानी और फूल पत्तियों का शौक था. कोरोना काल के चलते थोड़ा समय मिला तो उन्होंने यह सब करना शुरू कर दिया. मौजूदा समय में पूरे महिला अस्पताल में 5 उपवन तैयार हो चुके हैं. सुभाष वाटिका,शहीद दामोदरदास वाटिका,शहीद नत्थू लाल वाटिका, शहीद माखनलाल वाटिका, स्वराज वाटिका, तुलसी वाटिका, इनके उपवनों के नाम है. साथ ही तुलसी वाटिका, हर्बल गार्डन भी बनाया गया है.
उन्होंने कहा कि हमारे अस्पताल में जो वेस्ट मटीरियल निकलता है जैसे टूटे हुए पलंग, एंबुलेंस के पुराने टायर, पैथोलॉजी की बोतलें, बच्चों के टूटे हुए झूले, आईवी स्टैंड आदि का इस्तेमाल इन वाटिकाओं की सजावट के लिए करते हैं.