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वाराणसी: कई विभूतियों की कोरोना से मौत, अखिल भारतीय विद्वत परिषद ने सूची जारी कर जताया शोक

पंडित कामेश्वर उपाध्याय ने इस संबंध में बताया कि राहु प्रबल स्थिति में है इसलिए विद्वानों को मार रहा है और रक्षा प्रणाली भी कमजोर है. 15 जून से आगे की स्थिति शांत होगी क्योंकि राहु सूर्य युति आने वाली है.

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पंडित राजन मिश्रा का एक दिन पहले ही हुआ था निधन (फाइल फोटो)
पंडित राजन मिश्रा का एक दिन पहले ही हुआ था निधन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अखिल भारतीय विद्वत परिषद के महासचिव ने बताया ज्योतिषीय कारण
  • कहा- 14 मई से 14 जून के बीच अधिक सतर्क रहने की जरूरत

देश में जारी कोरोना की महामारी खतरनाक रूप धारण कर चुकी है. हर रोज न सिर्फ सामने आ रहे नए मामले बल्कि मृतकों की तादाद भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. काशी की विभूतियों को भी एक के बाद एक कोरोना निगलता जा रहा है. अभी एक दिन पहले ही बनारस घराने के शास्त्रीय गायक पद्म भूषण से सम्मानित पंडित राजन मिश्रा का निधन हुआ तो दो दिन पहले पत्रकारिता के शिक्षक रहे प्रोफेसर अर्जुन तिवारी का.

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कोरोना की बीमारी से काशी की करीब दो दर्जन विभूतियां अब तक दम तोड़ चुकी हैं. अखिल भारतीय विद्वत परिषद् ने कोरोना के कारण जान गंवाने वाली विभूतियों की सूची जारी की है. विद्वत परिषद के महासचिव और ज्योतिष पंडित कामेश्वर उपाध्याय ने मृतक विभूतियों की सूची जारी करते हुए गहरा शोक प्रकट किया है. उन्होंने सर्व विद्या ईश्वर भगवान भोलेनाथ से दिवंगत विभूतियों की आत्मा को शांति देने की अपील की और कहा कि यह सूची लंबी होती जा रही है.

इन विभूतियों की गई जान

  1. पद्म भूषण पंडित राजन मिश्र ( संगीत )
  2. पद्म श्री प्रोफेसर ओ एन श्रीवास्तव ( वैज्ञानिक )
  3. प्रोफेसर अर्जुन तिवारी ( पत्रकारिता )
  4. प्रोफेसर राजीव द्विवेदी ( इतिहास )
  5. प्रोफेसर रामविलास यादव ( भूगोल )
  6. प्रोफेसर रवि शंकर सिंह  ( भूगोल )
  7. आचार्य चूड़ा मणि ( संस्कृत व्याकरण )
  8. प्रोफेसर आनन्द शंकर सिंह  ( इतिहास  )
  9. प्रोफेसर अशोक चटर्जी (  दर्शन शास्त्र  )
  10. आचार्य शरद नागर   ( सामवेद/अध्यापक ऋग्वेद  )
  11. प्रोफेसर रमेश द्विवेदी  ( बौद्ध दर्शन )
  12. संत जानकी जीवन दास महाराज ( संत साहित्य )
  13. डॉ. सूर्य कान्त  ( सरस्वती पुस्तकालयाध्यक्ष )
  14. प्रोफेसर राम नारायण शुक्ल ( हिन्दी साहित्य )
  15. प्रोफेसर राम स्वरूप शर्मा   ( अंग्रेजी साहित्य  )
  16. प्रोफेसर एस के वर्मा  ( विधि शास्त्र/संकायप्रमुख)
  17. प्रोफेसर विष्णु गोपाल  ( समाज शास्त्र  )
  18. प्रोफेसर एच एस श्रीवास्तव ( सोसल वर्क )
  19. डॉ. अच्युतानंद घिल्डियाल  ( हिन्दी साहित्य )
  20. डॉ. स्वर्णा खूंटिया    (  दृश्य कला मर्मज्ञ  )
  21. डॉ. दीप्ति पाण्डेय    ( इतिहास )
  22. प्रोफेसर राजेन्द्र जायसवाल (  समाजशास्त्र  )
  23. प्रोफेसर डी एन सिंह  ( समाजशास्त्र  )

ज्योतिष पंडित कामेश्वर उपाध्याय ने इस संबंध में बताया कि राहु प्रबल स्थिति में है इसलिए विद्वानों को मार रहा है और रक्षा प्रणाली भी कमजोर है. 15 जून से आगे की स्थिति शांत होगी क्योंकि राहु सूर्य युति आने वाली है. उन्होंने कहा कि इस बार का राक्षस संवत्सर है और अति प्रबल राहु सात्विकजनों को मार रहा है. बचाने वाली प्रणाली छिन्न-भिन्न हो चुकी है. अभी एक अटैक और हो सकता है जब राहु की सूर्य युति 14 मई से 14 जून के बीच में होगी इसलिए बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है.

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उपाय को लेकर उन्होंने कहा कि दुर्गा सप्तशती में ढेर सारे उपाय दिए हुए हैं जिनमें रुद्र यज्ञ भी शामिल है. पंडित उपाध्याय ने साथ ही यह भी कहा कि लेकिन चाह लेने भर से यह यज्ञ हो पाएगा, जरूरी नहीं है. मैंने भी करना चाहा लेकिन खुद कोरोना संक्रमित हो गया. उन्होंने कहा कि संवत् २०७८ के चैत्र मास, शुक्ल पक्ष और राक्षस नामक संवत्सर ने काशी की अनेक विद्या विभूतियों को निगल लिया. कामेश्वर उपाध्याय ने दिवंगत विभूतियों को  श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सभी के अक्षय योगदान को काशी की विद्वत परंपरा हमेशा याद करती रहेगी.

 

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