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कोरोना वायरस की महामारी कोहराम मचा रही है. कोरोना की महामारी एक के बाद एक, जिंदगियां खत्म करती जा रही है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत है. राज्यों और शहरों में लॉकडाउन लगाने की नौबत आ रही है. इतने चिंताजनक माहौल में भी बनारस बेपरवाह है. वाराणसी के लोगों को जैसे कोरोना संक्रमण की कोई परवाह ही नहीं.
वाराणसी में लोग कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रहे हैं. न सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान, न ही नाक और मुंह पर मास्क. यदि किसी से इसे लेकर सवाल पूछ लीजिए तो जवाब और तर्क अजीबोगरीब. वाराणसी के लोगों के जवाब ऐसे-ऐसे कि आपका सर चकरा जाए. वाराणसी के चेतगंज बाजार में शुक्रवार की सुबह भीड़ नजर आई. इस भीड़ में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की थी जो मास्क नहीं लगाए थे.
इस संबंध में जब हमने कुछ लोगों से बात की तो किसी ने कहा कि कोरोनावायरस है ही नहीं. कोई इससे भी दो कदम आगे नजर आया. किसी ने उल्टा सवाल कर दिया कि बंगाल की चुनावी रैलियों से संक्रमण नहीं होता क्या? कुल मिलाकर, लोग अजीबोगरीब तर्क देकर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते अपने कार्य को वैध ठहराने की कोशिश करते नजर आए.
ऐसा तब है, जब वाराणसी यूपी के उन जिलों में शामिल है जहां कोरोना के सबसे ज्यादा दैनिक केस आ रहे हैं. अभी एक दिन पहले ही वाराणसी में कोरोना से संक्रमण के 1384 नए मामले सामने आए थे. पजिटिविटी रेट भी 25.1 तक पहुंच चुका है. वाराणसी में भी ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था. बोकारो से ऑक्सीजन टैंकर को पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए वाराणसी तक लेकर आई थी. फिर भी, लोग हैं कि मानते नहीं.
कोविड हेल्पलाइन नंबर पर नहीं मिला मदद का रास्ता
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों का हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है. इसमें टोल-फ्री नंबर के साथ ही लैंडलाइन के सहायता नंबर भी मौजूद है. पीएम मोदी के वाराणसी में भी जारी हुए नंबरों की जमीनी हकीकत जानने के लिए एक जररूतमंद ने पहले टोलफ्री तो बाद में लैंडलाइन नंबर पर कॉल किया. दोनों ही नंबरों पर बात तो हुई, लेकिन मदद की गारंटी की बात किसी ने नहीं बताई.
वाराणसी में तेजी से फैल रहा कोरोना
आपको बता दें कि वाराणसी में रोजाना औसतन डेढ़ से दो हजार कोरोना केस सामने आ रहें हैं. मरने वालों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए यूपी सरकार ने वाराणसी के लिए भी हेल्पलाइन नंबर जारी किये हैं. इन्ही नंबरों को एक जरूरतमंद नरेंद्र नामक शख्स तब ट्राई करते हुए दिखे जब उन्हे अस्पताल में अपने परिजन के लिए बेड चाहिए था. पहले परिजन ने टोलफ्री 1077 पर फोन किया तो दूसरी तरफ से शख्स ने एक दूसरे डॉक्टर का नंबर देकर यह कहते हुए फोन रख दिया कि बात कर लीजिए मदद हो जायेगी.
तो वहीं एक दूसरे लैंडलाइन पर जब परिजन ने बात की तो फोन की दूसरी तरफ से महिला ऑपरेटर ने भी जानकारी ली और अस्पताल में बेड कब तक मिलने के सवाल पर बताया कि वे अपने ऊपर के लोगों तक जानकारी बढ़ा दे रही है जैसे ही कोई गुंजाईश होगी वैसे फोन आ जायेगा. लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी कोई फोन नहीं आया.