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'सच्चाई को कोई ताकत रोक नहीं सकती,' कार्बन डेटिंग की मांग खारिज होने पर बोले RSS नेता

ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में अगर कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा.

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RSS नेता इंद्रेश कुमार.
RSS नेता इंद्रेश कुमार.

यूपी में वाराणसी की स्थानीय कोर्ट ने श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस में कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के नेता इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है. इंद्रेश कुमार ने कहा है कि सच्चाई को कोई ताकत रोक नहीं सकती है. इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर को लेकर भी तमाम अड़चनें आती रहीं. अंतत: सच्चाई की जीत हुई.

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बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दौरान कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. ऐसा होने से आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.

आगे बहुत सारे विकल्प होंगे

स्थानीय कोर्ट के निर्णय के बाद आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा- आगे अपने केस को बढ़ाने के लिए जो-जो प्रयत्न करने चाहिए थे, उन्होंने वो किए. अंतत: जो सत्य और सही है, वो सर्वाइव भी करेगा और जीतेगा भी. आगे बहुत सारे विकल्प आएंगे. वैज्ञानिक लोग सोचेंगे, ज्ञानी लोग भी सोचेंगे. दुनिया में कभी सारे दरवाजे बंद नहीं होते हैं. रामजन्मभूमि (अयोध्या केस) के बहुत बार रास्ते बंद हुए और खुलते चले गए. इसलिए जो सत्य है और सही है, वो सामने है.

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विदेशी आक्रांताओं ने मंदिर तोड़े

इंद्रेश कुमार ने कहा- सत्य को दुनिया की कोई ताकत नकार नहीं सकती है. हिंदुस्तान के लोगों ने कभी मस्जिद नहीं तोड़ी. जो विदेशी आक्रांता थे, उन्होंने मंदिर तोड़े. ये एक सत्य था और सत्य है. मुझे लगता है कि कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए और कोर्ट जाना चाहिए. समन्वय की गुंजाइश पर उन्होंने कहा कि आगे भी बहुत गुंजाइश है. मसला हल हो जाएगा. 

चार महिलाओं ने दायर की है याचिका

इससे पहले वाराणसी की कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को दरकिनार कर श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस को सुनवाई के योग्य माना था. इस मामले में सुनवाई चल रही है. इसी बीच हिंदू पक्ष की 4 वादी महिलाओं ने याचिका दायर कर कार्बन डेटिंग कराने की मांग की थी. हालांकि, श्रृंगार गौरी में पूजा की अनुमति को लेकर दायर केस पर सुनवाई जारी रहेगी.

ये है पूरा मामला

अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है. इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. जिला जज ने पूजा की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था. 

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क्या होती है कार्बन डेटिंग? 

कार्बन डेटिंग से लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून के अवशेष की उम्र पता चल सकती है. कार्बन डेटिंग से लेकिन एक अनुमानित उम्र ही पता चलती है, सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है. पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, लेकिन बर्तनों की डेटिंग हो सकती है. अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है.

 

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