कोरोना महामारी में संक्रमितों की आई बाढ़ से सारी व्यवस्था चरमरा चुकी है. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 99% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है तो सिर्फ 70% को ही ऑक्सीजन मिल पा रहा है. इतना ही नहीं जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर भी जरूरत की आधी यानी रोजाना 600 वायल की जरूरत है तो 300-350 वायल ही मिल पा रहा है. ये सारी जानकारी किसी और ने नहीं, बल्कि खुद वाराणसी के जिलाधिकारी ने दी है.
वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना से बिगड़ते हालात और अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड्स, वेंटिलेटर सहित रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से महामारी की सेकंड वेव आई है, उसके चलते सभी प्रदेशों में एक साथ संसाधनों की रिक्वायरमेंट बढ़ गई है. इस वजह से जिस प्रदेश में संसाधन है वह वही प्रयोग कर रहे हैं. वाराणसी में भी कोरोना की सेकंड वेव में 7-8 गुना ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, हमारी कोशिश है कि सारी व्यवस्था लोकल रिसोर्सेज से ही पूरे किए जाएं. जितनी ऑक्सीजन वराणसी में जनरेट हो रही है या आसपास बन रही है वही यहां काम आ सकती है. ऑक्सीजन जेनरेशन की व्यवस्था फ्यूचर के लिए प्लान कर ली गई है, लेकिन इसका फायदा अगले एक से 2 हफ्ते बाद ही मिल पाएगा. आसपास के जनपदों से भी एक एक सिलेंडर की सप्लाई ली जा रही है. चंदौली के प्लांट से वाराणसी में सप्लाई आती है. नए प्लांट मिर्जापुर और दूसरे प्रदेश के रीवा जैसी जगहों से भी 200 से 300 ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई शुरू कराई गई है.
जिलाधिकारी ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा ऑक्सीजन जेनरेशन का है. अस्पतालों में बेड तो बढ़ाए जा सकते हैं, लेकिन अब बिना ऑक्सीजन वाले बेड प्रयोग ही नहीं हो रहे हैं. डीएम ने बताया कि बेड की कोई कमी नहीं है. बेड हमारे पास दो हजार से ज्यादा हैं. बिना ऑक्सीजन वाले बेड हमारे काम के नहीं हैं. क्योंकि 99% मरीजों को ऑक्सीजन वाले बेड की जरूरत पड़ रही है. ऑक्सीजन जेनरेशन के सीमित संख्या होने की वजह से सारी चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं, लेकिन वाराणसी में ऑक्सीजन जेनरेशन का कोई प्लांट नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसलिए हम आसपास के जनपदों पर ही निर्भर हैं. वाराणसी में प्रतिदिन 3250 ऑक्सीजन सिलेंडर आते हैं. 24 घंटों में इसे अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचा दिया जाता है. इससे ज्यादा सिलेंडर के सोर्स लोकेट करने की कोशिश की जा रही है. आसपास के मंडलों और यूपी के नोडल सेल के माध्यम से भी पता लगाया जा रहा है. यूपी के बड़े शहरों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत बढ़ चुकी है. मौजूदा समय में वाराणसी में जरूरत की 70 परसेंट ही ऑक्सीजन की पूर्ति हो पा रही है. तीस परसेंट की जरूरत है.
वाराणसी के जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी संभव ही नहीं है. सारे सप्लायर्स को बोल दिया गया है कि जहां पर कोविड के मरीज एडमिट हैं सिर्फ वहीं पर वह रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई करें. रेमडेसिविर ओवर द काउंटर उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसकी कालाबाजारी संभव नहीं है. अगर फिर भी कालाबाजारी हो रही है तो उनकी मोबाइल रिकॉर्डिंग और उनकी जानकारी दें.
उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति प्रशासन के माध्यम से प्रत्येक 3 दिन पर होती है और प्राइवेट कंपनियों ने भी प्रतिदिन डेढ़ सौ से 200 वायल भेजने शुरू कर दिए हैं. सोमवार को तीन चार कंपनी की सप्लाई और आएगी. वाराणसी में भर्ती 40% मरीजों को रेमडेसिविर की जरूरत पड़ रही है. करीब 12 सौ पेशेंट वाराणसी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं. लगभग 400 मरीजों को रोजाना इस इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा घरों पर बीमार लोगों के लिए डॉक्टरों ने डिस्क्राइब किया है. ऐसे लोगों की संख्या 200 है तो इस तरह से वाराणसी में कुल 600 वायल की खपत प्रतिदिन है. हमको 300 से साढ़े 300 अलग-अलग माध्यमों से प्राप्त होती हैं. हमलोगों का प्रयास है कि इसकी आपूर्ति बढ़े.
जिलाधिकारी ने आगे बताया कि वाराणसी में 1700 कोरोना मरीजों के लिए बेड्स उपलब्ध है. जिसमें 12 सौ बेड प्रयोग हो रहे हैं. जबकि अन्य प्रयोग नहीं हो पा रहे हैं. क्योंकि उनके साथ ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जैसे ही ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ेगी वैसे बेड का प्रयोग भी बढ़ जाएगा. अस्पतालों में बेड की कमी नहीं है, बल्कि ऑक्सीजन की जरूरत है. क्योंकि इस बार के स्ट्रेन में 99 परसेंट मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है.