वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
कोर्ट ने मांग को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दौरान कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. ऐसा होने से आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.
चार महिलाओं ने दायर की थी याचिका
इससे पहले वाराणसी की कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को दरकिनार कर श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस को सुनवाई के योग्य माना था. इसके बाद से इस मामले में सुनवाई चल रही है. इसी बीच हिंदू पक्ष की 4 वादी महिलाओं ने याचिका दायर कर कार्बन डेटिंग कराने की मांग की थी. इस मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हालांकि, श्रृंगार गौरी में पूजा की अनुमति को लेकर दायर केस पर सुनवाई जारी रहेगी.
क्या है पूरा मामला?
अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है. इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. जिला जज ने पूजा की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था.
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग से लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून के अवशेष की उम्र पता चल सकती है. कार्बन डेटिंग से लेकिन एक अनुमानित उम्र ही पता चलती है, सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है. पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, लेकिन बर्तनों की डेटिंग हो सकती है. अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है.