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ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने का वीडियो, जहां शिवलिंग के मिलने का किया जा रहा दावा

ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. उस जगह का एक पुराना वीडियो सामने आया है. वीडियो पिछले दिनों उस वक्त का है, जब ज्ञानवापी के भीतर वजूखाने की साफ सफाई चल रही थी.

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इस जगह मिला शिवलिंग
इस जगह मिला शिवलिंग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वजूखाने में उतरकर लोग सफाई का वीडियो
  • वजूखाना कोर्ट के आदेश से सील

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर जहां वजूखाने में से शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. उस जगह का एक्सक्लूसिव वीडियो सामने आया है. जिसको देखकर आपको समझना आसान हो जाएगा. हालांकि यह वीडियो पिछले दिनों उस वक्त का है, जब हमेशा की तरह ज्ञानवापी के भीतर वजूखाने की साफ सफाई चल रही थी. देखा जा सकता है कि वजूखाने में उतरकर लोग उसकी साफ सफाई कर रहे हैं और उसके बीचो बीच एक आकृति दिख रही है. इसी आकृति को लेकर मिलने वाले शिवलिंग का दावा किया जा रहा है, और बताया जा रहा है कि शिवलिंग मिल चुका है और इसी पूरे वजूखाने को कोर्ट के आदेश से सील भी कर दिया गया है. वीडियो आप खबर के अंत में देख सकते हैं.

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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद ये मामला अब पहले से ज्यादा सुर्ख़ियों में आ गया है. सोमवार को सर्वे का काम पूरा हुआ, जिसमें हिंदू पक्ष का दावा है कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे खारिज कर रहा है. दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं.

इस बीच अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने निचली अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे में कथित शिवलिंग मिलने के बाद उस स्थान को सील करने के आदेश को अदालत के सांप्रदायिक हिस्से और सांप्रदायिक मीडिया के गठजोड़ से देश का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र बताया है. शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया कि जिला अदालत का सर्वे का आदेश ही पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ था. लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया. 

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'फव्वारे के टूटे हुए पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा'
शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया कि दो दिनों तक सर्वे के बाद कुछ भी नहीं मिलने पर तीसरे दिन मीडिया और जज ने इसे अफवाह का रूप दिया. उन्होंने कहा इस मामले में शुरू से ही गैर विधिक रवैया अपनाते हुए जज के सहयोग से मस्जिद में वज़ू करने के लिए बने पुराने फव्वारे के बीच में लगे पत्थर जो टूट गए थे, उसे ही शिवलिंग बताकर अफवाह फैलाई जा रही है. उन्होंने कहा कि देश के करीब सभी पुरानी और बड़ी मस्जिदों में इस तरह के फव्वारे और उसके बीच में ऐसे ही पत्थर लगे हुए हैं. 

शाहनवाज आलम ने कहा कि शिवलिंग मिलने की अफवाह फैलाने के उत्साह में सतर्कता नहीं बरतने के कारण ही हर चैनल में सर्वे के आधार पर उसकी लंबाई अलग-अलग बताई जा रही है. 

'वजूखाना मस्जिद का हिस्सा'
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि वर्ष 1937 में  बनारस जिला न्यायालय में दीन मोहम्मद द्वारा दाखिल वाद में ये तय हो गया था कि कितनी जगह मस्जिद की संपत्ति है और कितनी जगह मंदिर की संपत्ति है. इस फैसले के ख़िलाफ दीन मोहम्मद ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में अपील दाखिल की जो 1942 में  ख़ारिज हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने बेरिकेटिंग करके मस्जिद और मंदिर के क्षेत्रों को अलग-अलग विभाजित कर दिया. मौजूदा समय में वजूखाना उसी समय से मस्जिद का हिस्सा है.

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शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सवाल उठता है कि क्या 1937 और 1942 में ये कथित शिवलिंग जिसे आज सर्वे टीम खोज निकालने का दावा कर रही है, वहां मौजूद नहीं था. और अगर तब नहीं था तो आज कैसे मिल गया? 

'निष्पक्षता पर उठाया सवाल'
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 को पूजा स्थलों की जो स्थित, कस्टडी और चरित्र था उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता. इस मामले में भी 1937 और 1942 के मुकदमों में किसी शिवलिंग की मौजूदगी अदालत को नहीं दिखी थी. ऐसे में आज सर्वे के नाम पर शिवलिंग मिलने की अफवाह फैलाकर 15 अगस्त 1947 की स्थिति को बदलने की गैर विधिक कोशिश की जा रही है. जिसमें बनारस की निचली अदालत के जज खुद शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इतने महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार करते हुए जज ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चर्चित दीन मोहम्मद बनाम सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मुकदमे और उसके फैसले का अध्ययन नहीं किया हो ऐसा नहीं हो सकता. इसलिए उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठना स्वाभविक है. 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बयान
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मस्जिद और उसके अहाते के सर्वे का हुक्म और सर्वे के आधार पर वजू खाने को बंद करना सरासर नाइंसाफी है. सरकार इस मामले में दखल दे और हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाए. लॉ बोर्ड ने कहा, सरकार 1991 के एक्ट के तहत तमाम इबादतगाहों की हिफाज़त करें.

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