विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल ने दलितों को धार्मिक योद्धा बताया है. इलाहाबाद में शनिवार को एक जनसभा के दौरान सिंघल ने कहा कि मुस्लिम शासकों की प्रताड़ना के बावजूद दलितों ने हिंदू धर्म नहीं छोड़ा. इस समदाय ने कभी गुलामी को स्वीकार नहीं किया.
बद्रीकाश्रम के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती की मौजूदगी में सिंघल ने कहा, 'अन्य स्वयंसेवियों कि तरह वाल्मिकी और सोनकर समुदाय के लोगों के साथ भी समान और शिष्ठ व्यवहार होना चाहिए. लोग भले ही उन्हें गिरी हुई भावना से देखते हों, लेकिन वह भी धार्मिक योद्धा हैं. असल में इस समुदाय के लोग उच्च हिन्दू जाति के हिन्दू हैं क्योंकि उन्होंने भी मुस्लिम शासकों की गुलामी को मंजूर नही किया.'
सिंघल ने कहा कि लाख प्रताड़ना को सहते हुए सोनकर और वाल्मिकी समुदाय ने हिन्दू धर्म को नहीं छोड़ा. इन लोगों को खूब दबाया गया और इसी का कारण है कि ये समाज में काफी पिछड़ गए.
फिर आई राम मंदिर की याद
वीएचपी नेता ने इस दौरान राम मंदिर का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनवाने के लिए उनकी पार्टी एक अभियान चलाने वाली है और इसकी शुरुआत काशी और मथुरा से होगी. सिंघल ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के अलावा काशी और मथुरा में मंदिर निर्माण करवाया जाएगा.