सरकारी एम्बेसडर कारों को किया गया सीज
लखनऊ की कृष्णानगर पुलिस ने दो एम्बेसडर कारों को सीज किया है. इनमें से एक कार का नंबर UP 32 BG 0156 है. इन दो गाड़ियों के अलावा पुलिस ने एक बुलेटप्रूफ कार को भी सीज किया है. पुलिस के मुताबिक ये सरकारी कारें दूसरों के नाम से रजिस्टर्ड हैं. ये कारें 2 दिन से विकास दुबे के भाई के घर में खड़ी थी, लेकिन विकास दुबे के भाई इन कारों से जुड़े कागजात पुलिस को नहीं दिखा पाए.
नीलामी में खरीदी थीं कारें
रिपोर्ट के मुताबिक विकास दुबे के भाई ने गवर्नर हाउस में 2014 में हुई नीलामी में ये एम्बेसडर गाड़ियां खरीदी थीं. विकास दुबे अपनी हनक बनाए रखने के लिए सात साल तक बगैर फिटनेस कराए गाड़ी चलाता रहा.
पढ़ें- कानपुर केस में गिरफ्तारी, मुठभेड़ के बाद गिरफ्त में विकास दुबे गैंग का दयाशंकर
राज्यपाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के नाम थी रजिस्टर्ड
दरअसल राज्यपाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के नाम से आरटीओ में 10 मई 2004 को एम्बेसडर गाड़ी यूपी 32 बीजी-0156 का रजिस्ट्रेशन हुआ था. 10 साल इस्तेमाल करने के बाद यह गाड़ी नीलाम कर दी गई.
अबतक ट्रांसफर नहीं हुई थी कार
परिवहन विभाग के सूत्रों की माने तो यह गाड़ी विकास दुबे के भाई ने नीलामी में खरीदी थी. इसका रजिस्ट्रेशन भी नौ मई 2019 को खत्म हो गया था. लेकिन 2014 से अबतक विकास दुबे के भाई ने कार का न तो ट्रांसफर कराया और न ही कार से जुड़ा कोई टैक्स दिया और न ही ट्रांसफर चार्ज भरा.
पढ़ें- कानपुर शूटआउट: विकास दुबे की क्रूरता, चौराहे पर पुलिसकर्मियों के शव जलाने का था प्लान
विकास दुबे इसी एम्बेसडर कार से नेताओं और अफसरों से मिलने जाता था. कई अफसरों को लगता था कि उसे सरकार ने यह गाड़ी दे रखी है. अधिकारी भी मानते हैं कि विकास की नौकरशाही में मजबूत पकड़ होने की वजह से उसकी गाड़ियों की न तो पुलिस चेकिंग करती थी और न ही आरटीओ की टीम.