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कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर केस के न्यायिक जांच आयोग पर सवाल खड़े करने वाली और उसके सदस्यों को बदलने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिका में पूर्व जज बीएस चौहान के नेतृत्व में बनाए गए तीन सदस्यों के न्यायिक जांच आयोग के पुनर्गठन की मांग की गई थी.
बुधवार को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस एस.ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले की सही जांच के लिए पहले से ही आवश्यक कदम उठाए गए हैं.
एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी. याचिका में जांच आयोग में फेरबदल करने की मांग की गई थी. याचिका में मांग की गई थी कि आयोग में मौजूद रियाटर्ड जस्टिस बीएस चौहान, रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता की जगह अन्य पूर्व जजों व रिटायर्ड डीजीपी को शामिल किया जाए.
विकास दुबे के सहयोगी जय बाजपेयी के भाइयों पर 25-25 हजार का इनाम
इस मांग के पीछे एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय ने दलील रखी थी कि जस्टिस बीएस चौहान के भाई यूपी में विधायक हैं और उनकी बेटी की शादी एक सांसद से हुई है. लिहाजा, न्यायिक जांच आयोग को पुनर्गठित किया जाए. लेकिन कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया है.
गौरतलब है कि 2-3 जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस ने रेड की थी. गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने साथियों संग मिलकर पुलिस टीम पर फायरिंग खोल दी थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इसके बाद विकास दुबे 10 जुलाई को एनकाउंटर में मारा गया था. इस एनकाउंटर पर काफी सवाल उठाए गए थे. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और जांच आयोग का गठन किया गया. इस आयोग के सदस्य को लेकर ही याचिका दायर की गई थी जो खारिज हो गई है.