उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए विकास दुबे एनकाउंटर कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की जांच जारी है. अभी तक इस मामले में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक, एसआईटी को पुलिस की थ्योरी का खंडन करने वाला कोई गवाह नहीं मिल पाया है.
विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी. जांच समिति के सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, अभी तक किसी भी गवाह ने पुलिस के बयानों का खंडन नहीं किया है. सूत्रों का कहना है कि एनकाउंटर को लेकर पहले कई सवाल खड़े किए गए थे, लेकिन आधिकारिक बयानों में किसी ने पुलिस की थ्योरी का खंडन नहीं किया है.
एनकाउंटर के वक्त पुलिस के काफिले के पीछे-पीछे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीम की कई गाड़ियां चल रही थीं, कई न्यूज रिपोर्ट में एनकाउंटर पर सवाल भी उठाए गए लेकिन कोई भी मीडियापर्सन आयोग के पास पुलिस की कहानी के खिलाफ गवाही देने नहीं आया. इसके अलावा विकास दुबे के रिश्तेदार भी जांच टीम को अपना बयान देने नहीं आ पाए.
अभी तक समिति के सामने जिन्होंने बयान दिया है, उनमें से अधिकतर ने पुलिस की थ्योरी का समर्थन किया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल में पूर्व जस्टिस बीएस चौहान, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसके अग्रवाल और यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल हैं.
आपको बता दें कि इसी साल दो जुलाई को कानपुर में विकास दुबे और उसके गैंग ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इसी के बाद विकास दुबे फरार हो गया और करीब एक हफ्ते के बाद जब उसे मध्य प्रदेश से पकड़ा गया, तो कानपुर लाते वक्त पुलिस एनकाउंटर में उसे ढेर कर दिया गया. पुलिस का कहना था कि कानपुर के पास विकास दुबे ने पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की थी, जिसके बाद मुठभेड़ हुई और विकास दुबे ढेर हुआ.