कानपुर के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के डेथ सर्टिफिकेट को लेकर उनकी पत्नी और कानपुर नगर निगम के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. विकास दुबे के एनकाउंटर को एक साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन उसकी पत्नी ऋचा दुबे का आरोप है कानपुर प्रशासन द्वारा उसे उसके पति का डेथ सर्टिफिकेट अभी तक नहीं दिया गया है.
नगर निगम की क्या सफाई?
ये आरोप ऋचा दुबे ने शनिवार को लखनऊ में अपनी प्रेस कान्फ्रेंस कर लगाए थे. इसको लेकर उन्होंने योगी सरकार को भी घेरा था. इस मामले पर कानपुर नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर अमित सिंह का कहना है कि विकास की मौत का स्थान सचेंडी इलाके में था. पुलिस की टीम उस समय हमारे पास आई थी तो हमने उनको बता दिया था कि विकास का डेथ स्थल हमारे नगर निगम में नहीं आता है. उनका सचेंडी ब्लाक से ही बनेगा. वहीं सचेंडी के एसडीएम अभिराज का कहना है कि हमारे पास उनकी तरफ से कोई एप्लीकेशन नहीं आई है. यहां तक कह दिया गया है कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है.
वैसे किसी भी शख्स का डेथ व्यक्ति लेने के लिए उसके वारिस को पहले एक डेथ सर्टिफिकेट का फार्म भरना पड़ता है. उसमें सर्टिफिकेट लेने वाले का फोटो, श्मशान घाट की पर्ची और मृतक का आधार कार्ड या आईडी, मेडिकल रिपोर्ट लगाई जाती है. तभी सर्टिफिकेट की प्रक्रिया शुरू होती है. इसके साथ शर्त ये भी है कि अगर डेथ सर्टिफिकेट के लिए 21 दिन के बाद अप्लाई किया जाता है तो उसके लिए एफिडेविट के साथ डीएम का परमीशन दाखिल करना पड़ता है.
विकास दुबे की पत्नी क्या बोलीं?
अब प्रशासन ने जरूर ऋचा दुबे के आरोपों को निराधार बता दिया है, लेकिन वे खुद लगातार राज्य की योगी सरकार पर हमलावर हैं. उन्होंने कहा है कि मेरे बूढ़े सास ससुर दर दर भटक रहे हैं. मेरे देवर के बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. हमारे पास कमाने खाने के लिए कुछ नहीं छोड़ा जा रहा है. हमारी जमीनों पर कब्जा हो रहा है. बीजेपी के लोग हमारी जमीनों और खेतों पर कब्जे कर रहे हैं. रिचा दुबे ने कहा, राजू वाजपेई नाम के शख्स, जो उनके पार्टनर थे, उन्होंने जमीनों पर कब्जा कर लिया.