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विनय कटियार ने राम मंदिर पर भाजपा और RSS की मंशा पर उठाए सवाल

कटियार ने अध्यादेश को लेकर भी आशंका जाहिर की. उनका मानना है कि राम मंदिर के लिए न तो बीजेपी और न ही आरएसएस बहुत कुछ कर रहे हैं.

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विनय कटियार (फोटो-आजतक आर्काइव)
विनय कटियार (फोटो-आजतक आर्काइव)

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अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे पर विनय कटियार ने बीजेपी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है 2019 चुनाव से पहले राम मंदिर बनने का कोई रास्ता निकलेगा. कटियार के मुताबिक संघर्ष ही आखिरी रास्ता है. वह संघर्ष क्या होगा उसके बारे में कटियार ने कुछ भी नहीं कहा.

कटियार ने इस मामले में देरी के लिए संघ को भी कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि संघ ने भी भी इस मामले में पहल करने में देर कर दी. सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं दिखी. बकौल कटियार, 'शुरुआत से ही ऐसा लग रहा था सरकार इस मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठा रही है.'

अध्यादेश लाने के मुद्दे पर विनय कटियार का मानना है कि इसके लिए जरूरी संख्या बल न तो बीजेपी सरकार के पास है और न ही अध्यादेश लाने से कोई रास्ता निकलेगा, क्योंकि यह मुद्दा राम मंदिर बनाने का नहीं है बल्कि अदालत में जो मामला लंबित है वह जमीन के विवाद का है. कटियार ने कहा कि इस पर अध्यादेश लाने से फायदा भी क्या होगा?

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विनय कटियार के मुताबिक इस मामले में सरकार और दोनों ने काफी देर कर दी है और धीरे-धीरे मामला दोनों के हाथों से निकलता जा रहा है. विनय कटियार ने फिर से दोहराया कि इस मामले में संघर्ष ही आखिरी रास्ता है लेकिन संघर्ष क्या होगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा.

राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुनवाई की जनवरी तक तारीख बढ़ाए जाने के बाद बीजेपी सरकार सवालों के घेरे में है. सहयोगी दल समेत उनके नेता भले ही राम मंदिर बनाए जाने की पुरजोर वकालत कर रहे हों लेकिन कानूनी जानकारों के मुताबिक अभी सरकार के पास कोई ऐसा रास्ता नहीं है जिससे इस विवाद में राम मंदिर बनने का कोई हल निकल सके.

दूसरी ओर, राम मंदिर निर्माण को लेकर लगातार उठती मांग के बीच राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा इस पर प्राइवेट मेंबर बिल ला सकते हैं. गुरुवार को राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि जो लोग बीजेपी और आरएसएस को उलाहना दे रहे हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं क्या वह उनके प्राइवेट बिल का समर्थन करेंगे. उन्होंने लिखा कि अब समय आ गया है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. राज्यसभा सांसद ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर आर्टिकल 377, जलीकट्टू, सबरीमाला पर निर्णय लेने पर कितने दिन लिए? अयोध्या का मामला उनकी प्राथमिकताओं में नहीं है लेकिन हिंदुओं की प्राथमिकता में वह जरूर है.

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राकेश सिन्हा ने लिखा कि अगर विपक्ष के नेता उन्हें बिल पर कोई सुझाव देना चाहते हैं तो दे सकते हैं. अगर राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव या अन्य नेता उन्हें उनके घर बुलाएंगे तो वहां भी जाने के लिए तैयार हैं.

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