पश्चिम उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से वायरल फीवर और डेंगू का कहर लगातार बढ़ रहा है. शुरुआत फिरोजाबाद जिले से हुई थी लेकिन अब आसपास के कई जिले इस वायरल की चपेट में हैं. जिन छोटे शहरों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराई हैं, उसके बाद ज्यादा से ज्यादा लोग अपने बच्चों और परिजनों को लेकर सीधे आगरा का रुख कर रहे हैं ताकि बेहतर इलाज मुहैया हो सके.
वायरल फीवर का कहर, आगरा की ग्राउंड रिपोर्ट
आगरा का चाहे सरकारी अस्पताल हो या निजी अस्पताल, डेंगू और वायरल फीवर से पीड़ित बड़ी संख्या में लोग यहां इलाज करवा रहे हैं और इन मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या फिरोजाबाद से आने वाले पीड़ितों की है. ऐसे में आगरा के अस्पतालों पर बोझ काफी ज्यादा बढ़ चुका है. सबसे पहले आगरा के सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बात करते हैं. आसपास के कई जिलों में यह सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है जहां बड़ी संख्या में बुखार से पीड़ित मरीज इलाज के लिए चले आ रहे हैं. ओपीडी में पैर रखने की भी जगह नहीं है. अस्पताल प्रशासन की ओर से बुखार पीड़ितों के लिए विशेष इंतजाम आदि किए गए हैं.
अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है और डॉक्टर अंकित जैसे लोग हर दिन बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. एसएन मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में वायरल मरीजों को देख रहे डॉक्टर अंकित का मानना है कि पिछले 15 से 20 दिनों में मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है और हर दिन वह लगभग 250 मरीजों को देख रहे हैं जिनमें न सिर्फ आगरा के मरीज हैं बल्कि आसपास के जिलों के मरीज भी शामिल हैं.
झोलाछाप डॉक्टरों ने बिगाड़ी स्थिति
आजतक से बातचीत करते हुए डॉक्टर अंकित ने कहा, "हमारे पास आगरा के भी मरीज आ रहे हैं और आगरा के आसपास के क्षेत्र से भी मरीज हमारे पास इलाज करवाने आ रहे हैं. हालात इसलिए भी खराब हैं क्योंकि झोलाछाप डॉक्टर जो इलाज कर रहे हैं उनकी वजह से मरीजों की स्थिति और खराब हो रही है. प्राथमिक इलाज गलत होने की वजह से मरीज बुरी स्थिति में यहां आ रहे हैं. मरीजों की स्थिति को देखते हुए हम आगे टेस्ट करवा रहे हैं और गंभीर स्थिति में उन्हें सीधे भर्ती कर रहे हैं. यह बढ़ोतरी पिछले 15-20 दिनों में ज्यादा देखने को मिली है. हम रोज 200 से 250 लोगों को देख रहे हैं. उनकी स्थिति के आधार पर हम उन्हें डेंगू या वायरल फीवर के अनुरूप इलाज कर रहे हैं."
क्या बड़े क्या बच्चे यह वायरल बुखार सब को अपनी चपेट में ले रहा है. आगरा के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए एक अलग वार्ड बनाया गया है. साथ ही वायरल फीवर से ग्रस्त मरीजों की देखरेख और इलाज के लिए भी विशेष वार्ड तैयार किए गए हैं. इन वार्ड में भी न सिर्फ आगरा बल्कि आसपास के जिलों और खासकर इस आपदा का केंद्र रहे फिरोजाबाद से सबसे ज्यादा आए मरीजों का इलाज हो रहा है.
वायरल फीवर के अलावा डेंगू का कहर
डेंगू और वायरल फीवर विभाग में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर ईशान चतुर्वेदी ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि हाल फिलहाल के दिनों में वायरल फीवर और डेंगू की शिकायतें लेकर आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है और ऐसे में डेंगू पॉजिटिव आने वालों के लिए विशेष वार्ड अस्पताल में बनाया गया है. वार्ड में हमारे पास 16 डेंगू के मरीज हैं और एक मरीज गंभीर अवस्था में आईसीयू में है सबसे ज्यादा मरीज फिरोजाबाद से आ रहे हैं हमारे पास आज मथुरा हाथरस और औरैया से भी मरीज आए हुए हैं. हमने 31 अगस्त को ही डेंगू के लिए अलग बोर्ड स्थापित कर दिया था और अभी भी ठीक चल रहा है. जितने मरीज हम डिस्चार्ज कर पा रहे हैं उससे ज्यादा मरीज हमारे पास आ रहे हैं."
निजी अस्पताल भी मरीजों से भरे
अब सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी ही है, प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों का आना लगा हुआ है. आगरा के एपेक्स अस्पताल में बड़ी संख्या में पिछले कुछ दिनों से डेंगू और वायरल फीवर से ग्रसित मरीज आ रहे हैं. अस्पताल की ओर से ऐसे मरीजों के लिए विशेष बोर्ड बना दिए गए हैं जिसमें बड़ी संख्या में पीड़ित बच्चों और बड़ों का इलाज चल रहा है. एपेक्स अस्पताल के प्रबंधक अंकुर यादव का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है और उसमें भी सबसे ज्यादा मरीज हमारे पास फिरोजाबाद से आ रहे हैं जिन्हें डेंगू और वायरल फीवर की शिकायत है और उनके इलाज के लिए हमने विशेष वार्ड तैयार किया है. अंकुर यादव के मुताबिक इन मरीजों में प्लेटलेट की संख्या कम पाई गई है और अब यहां उनका इलाज किया जा रहा है. अंकुर के मुताबिक ज्यादातर मरीजों में डेंगू पाया गया है.
आगरा के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में ऐसी ही तस्वीर दिखाई पड़ती है. आसपास के दूसरे शहरों, कस्बों में व्यवस्थाएं इतनी नहीं है लेकिन वायरल फीवर और डेंगू का प्रकोप अब कहर बनकर लोगों पर टूट रहा है तो जान बचाने के लिए लोग अपने गांव शहर छोड़ कर सीधे आगरा का रुख कर रहे हैं ताकि अपनों की जान बचाई जा सके और बेहतर इलाज मिल सके.