मुलायम सिंह यादव और नरेंद्र मोदी के साथ-साथ जब-तब अपनी ही पार्टी के नेताओं को निशाने पर रखने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने शुक्रवार को यूपी कांग्रेस में खलबली मचा दी.
बाराबंकी में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर उन्होंने एलान कर दिया कि जनवरी महीने तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री को हटा दिया जाएगा और यूपी कांग्रेस में व्यापक फेरबदल होगा. बेनी के बयान को चार राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद बने माहौल में यूपी में पार्टी के बीच बगावती तेवर के रूप में देखा जा रहा है. यह पहला मौका है जब बेनी ने सीधे तौर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को निशाने पर लिया हो.
चार हिंदी भाषी राज्यों में करारी पराजय के बाद दिल्ली और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सेनापति बदले जाने के बाद अब उत्तर प्रदेश के कांग्रेसियों के बीच भी यह बहस छिड़ गई है कि क्या यहां भी परिवर्तन की बयार बहेगी अथवा मौजूदा सूबाई निजाम के तहत ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उतरेगी.
कुछ समय पहले तक प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की बात जोर शोर से होती थी, लेकिन 21 नवंबर को लखनऊ में खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिए कांग्रेस के सफल प्रदर्शन के बाद प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री और उनके समर्थकों को खासी राहत मिली थी और नेतृत्व परिवर्तन के स्वर मंद पड़ गए थे. बेनी के बयान के बाद कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि अगर डॉ. खत्री को भविष्य में हटाए जाने का कोई फैसला हुआ भी हो तो उन्हें इस तरह सार्वजनिक रूप से उसकी घोषणा नहीं करनी चाहिए. इस तरह की बयानबाजी से पार्टी को नुकसान होता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वैसे जहां तक मेरी जानकारी है, खत्री को हटाए जाने का कोई फैसला नहीं किया गया है.
बेनी वर्मा के क्या सूत्र हैं, यह तो वही बता सकते हैं. वैसे हाईकमान का जो भी निर्णय होगा, वह सभी को स्वीकार होगा. उधर निर्मल खत्री इस पूरे घटनाक्रम पर बोलने से बचते दिखे. बताते चलें कि खत्री को प्रदेश अध्यक्ष बने सवा साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी कमेटी गठित नहीं की है. उन्होंने कहा था कि 21 नवंबर के बाद कमेटी गठित की जाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ. डॉ. खत्री के समर्थक कहते हैं कि कमेटी गठित करने से छूट मिलना ही इस बात का प्रमाण है कि खत्री को अभयदान मिल चुका है.