मध्य प्रदेश के बहुचर्चित और हाईप्रोफाइल व्यापम घोटाले के तार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से भी जुड़े हैं. इंदौर की स्पेशल पुलिस की टीम ने बीएचयू के एक छात्र अजय यादव को गिरफ्तार किया है. इसने मप्र प्रीपीएमटी-2013 में एक अभ्यर्थी को पास कराने के लिए ठेका लिया था और पटना के एक युवक को सॉल्वर के तौर पर बैठाया था.
फर्जीवाड़ा खुलने के बाद इंदौर पुलिस अजय तक पहुंच गई. मध्य प्रदेश के व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा आयोजित होने वाली प्रीपीएमटी परीक्षा घोटाले की जड़ें तलाशते बुधवार की रात इंदौर पुलिस की एक स्पेशल टीम ने वाराणसी में छापा मारा. टीम ने सारनाथ के फरीदपुर गांव निवासी 22 वर्षीय अजय यादव पुत्र रमेश यादव को गिरफ्तार कर लिया.
अजय बीएचयू में बीएससी तृतीय वर्ष में पढ़ाई करने के साथ ही कोचिंग देता है. वहीं उसके पिता गांव में ही एक स्कूल का संचालन करते हैं. इंदौर पुलिस की टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद के बिना आरोपी अजय को अपने साथ लेकर चली गई. इस पूरे मामले में वाराणसी पुलिस को भनक नहीं लगी है. हालांकि बीएचयू प्रशासन को इसकी सूचना दे दी गई थी.
इंदौर पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक अजय इस पूरे फर्जीवाड़े में पहले सॉल्वर था और अब स्कोरर का काम करता है. वर्ष 2013 में इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रविंद्र जाटव के एडमिशन के लिए पटना कॉलेज के विक्रांत को सॉल्वर बनाया. इस काम के लिए उसे 4.50 लाख रुपये मिले थे. सॉल्वर को एक लाख रुपये दिए गए. उसके तार ग्वालियर के रैकेटियर डॉ. ज्ञान सिंह और उसके चेले डा. नरेंद्र चौरसिया से जुड़े हैं. यह दोनों आरोपी यूपी के विभिन्न जिलों से होनहार युवकों को सॉल्वर के तौर पर तलाश करने का काम करते हैं. अजय रैकेटियर नरेंद्र के सम्पर्क में वर्ष 2010 में आया. उस साल वह नरेंद्र के भांजे दीपक के लिए मप्र प्रीपीएमटी की परीक्षा में सॉल्वर बना था. बाद में वह सॉल्वर मुहैया कराने का ठेका लेने लगा.