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खोखली थी आरुषि और तलवार दंपति के कमरों के बीच की दीवार: CBI

नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में पहले की एक थ्योरी पर सवालिया निशान लग गया है. पहले कहा जा रहा था कि आरुषि के कमरे से आने वाली कोई आवाज उससे सटे कमरे यानी आरुषि के माता-पिता के कमरे में सुनाई नहीं दे सकती थी, जबकि सीबीआई ने कहा कि दोनों कमरों के बीच की एक दीवार में एक खोखला हिस्सा था.

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आरुषि
आरुषि

नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में पहले की एक थ्योरी पर सवालिया निशान लग गया है. पहले कहा जा रहा था कि आरुषि के कमरे से आने वाली कोई आवाज उससे सटे कमरे यानी आरुषि के माता-पिता के कमरे में सुनाई नहीं दे सकती थी, जबकि सीबीआई ने कहा कि दोनों कमरों के बीच की एक दीवार में एक खोखला हिस्सा था.

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सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक स्थानीय अदालत को बताया कि आरुषि और उसके माता-पिता के कमरों के बीच ईंट से बनी एक दीवार थी, जिसे प्लाईबोर्ड शीट से ढका गया था. अपने निरीक्षण के दौरान मामले के जांच अधिकारी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ए.जी.एल. कौल को संदेह हुआ कि प्लाईबोर्ड शीट से ढकी दीवार में कहीं-कहीं खोखलापन था.

जब कौल ने इस बाबत सवाल किया था तो तलवार परिवार के सदस्यों ने उनसे कहा था कि पहले वहां एक दरवाजा हुआ करता था जिसे हटा दिया गया है, लिहाजा वह हिस्सा खोखला है.

इस पर, बचाव पक्ष के वकील तनवीर अहमद मीर ने कौल से कहा कि अगर दोनों कमरों के बीच कोई ईंट की दीवार थी जो प्लाईबोर्ड शीट से ढकी हुई थी तो गहरी नींद में सो रहे राजेश और नुपुर अपनी बेटी के कमरे से आ रही आवाज को कैसे सुन सकते थे. कौल ने इस बाबत स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि जब उन्होंने कमरे का निरीक्षण किया तो उन्हें संदेह हुआ कि कोई एक हिस्सा है जो खोखला है.

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कौल ने कहा कि जब उन्होंने तलवार दंपति से पूछा तो उन्होंने उनसे कहा कि ईंट की दीवार में एक दरवाजा था जिसे हटा दिया गया है और पूरी जगह को प्लाईबोर्ड से ढक दिए जाने के कारण दरवाजे का हिस्सा खोखला लग रहा है. जिरह के दौरान मीर ने यह भी कहा कि 16 मई 2008 को सुबह 6 बजकर 54 मिनट पर 100 नंबर पर कॉल की गयी थी, जबकि तलवार की नौकरानी ने दावा किया था कि आरुषि की हत्या का पता चलने पर वह सुबह 6 बजे आयी थी.

बचाव पक्ष ने कौल से यह स्पष्ट करने को कहा कि आरुषि के फोन की जांच तलवार दंपति से क्यों नहीं करायी गयी.

अधिकारी ने कहा कि तलवार दंपति ने उन्हें पहले ही फोन का आईएमईआई नंबर बता दिया था और बरामद किया गया हैंडसेट इससे मिलता-जुलता था जिसके कारण दंपति से उसकी पहचान कराने की जरूरत नहीं थी.

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