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वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलटी को दी दिवालिया घोषित करने की अर्जी

कंपनी ने एनसीएलटी को आवेदन देकर दिवालिया घोषित करने की अपील की है. साथ ही कंपनी के मैनेजमेंट ने क्रमवार तरीके से से अपना पक्ष भी रखा है और नोएडा प्राधिकरण को कसूरवार ठहराया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कंपनी ने नोएडा अथॉरिटी पर लगाए गंभीर आरोप
  • सेक्टर 32, 25 का आवंटन हो चुका है निरस्त

वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने कंपनी को दिवालिया घोषित करने की अर्जी लगा दी है. कंपनी ने एनसीएलटी को आवेदन देकर दिवालिया घोषित करने की अपील की है. साथ ही कंपनी के मैनेजमेंट ने क्रमवार तरीके से से अपना पक्ष भी रखा है और नोएडा प्राधिकरण को कसूरवार ठहराया है. एनसीएलटी को दिए आवेदन में वेव मेगा सिटी सेंटर मैनेजमेंट ने प्राधिकरण पर जानबूझकर, अन्यायपूर्ण तरीके से जमीन वापस लेने और दो टावर सील करने का आरोप लगाया है.

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वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी आवासीय एवं वाणिज्यिक प्रोजेक्ट नोएडा में विकसित कर रही थी. कंपनी ने एनसीएलटी (NCLT) में कंपनी को दिवालिया घोषित करने का आवेदन दायर किया है ताकि प्रोजेक्ट के सैकड़ों खरीददारों के हितों की रक्षा हो सके जो नोएडा प्राधिकरण के फैसले के बाद फंस गए हैं और इस मामले के निपटारे की प्रक्रिया शुरू हो सके. नोएडा के मध्य में स्थित सेक्टर 32 और 25 में आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना को सील किए जाने के अचानक लिए गए निर्णय को वाणिज्यिक विवाद को गलत  तरीके  से निपटाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

वेव मेगा सिटी सेंटर (डब्ल्यूएमसीसी) ने इस परियोजना में 3800 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसमें इसके प्रमोटर्स और उनके सहयोगियों की ओर से किया गया 2213 करोड़ रुपये का निवेश भी शामिल है. इसके अलावा बैंक ऋण के रूप में 200 करोड़ रुपये की राशि ली गई है. खरीददारों ने करीब 1400 करोड़ रुपये की शेष राशि का भुगतान किया है. इसमें से 2000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान विभिन्न सरकारी एजेंसियों को किया गया है, जिसमें नोएडा प्राधिकरण को लगभग 1600 करोड़ रुपये का भुगतान भी शामिल है.

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डब्ल्यूएमसीसी के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम खरीददारों के हित की रक्षा करने के लिए उठाया गया है, क्योंकि आईबीसी समाधान प्रक्रिया के तहत खरीददारों के हित वित्तीय लेनदार से पहले प्राथमिकता में आते हैं. डब्ल्यूएमसीसी का संबंध केवल वेव मेगा सिटी सेंटर परियोजना से ही है और साथ ही डब्ल्यूएमसीसी समूह के किसी अन्य दूसरी कंपनी में न तो कोई निवेश है या ना ही उनसे कोई संबंध है.

कंपनी ने 2011 में लीजहोल्ड पर ली थी जमीन

नोएडा में सेक्टर 25 और 32 के बीच वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2011 में लीजहोल्ड के आधार पर 6.18 लाख वर्ग मीटर भूमि का अधिग्रहण किया था. लगभग 1.07 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 6622 करोड़ रुपये में किया था. मूल योजना के हिसाब से फिर से भुगतान की अवधि पहले दो साल मोरेटोरियम के बाद 16 अर्द्धवार्षिक किश्तों में थी. हर किश्त में मूलराशि और ब्याज की राशि शामिल थी.

दिसंबर 2016 में खरीदारों को समय पर यूनिट्स की डिलीवरी देने और किश्त पर बकाया राशि की वसूली के लिए प्राधिकरण प्रोजेक्ट सैटलमेन्ट पॉलिसी (PSP) लेकर आया. पीएसपी पॉलिसी के तहत डेवलपर्स को प्राधिकरण के पास जमा की गई राशि के 85 फीसदी के समकक्ष जमीन रखने की अनुमति दी गई. साथ ही, प्राधिकरण को शेष 15 फीसदी राशि जब्त कर रखनी थी. इस राशि को स्टांप ड्यूटी, दंडात्मक ब्याज, शुल्क वसूली और अन्य स्थानिक शुल्क के भुगतान के लिए विचाराधीन नहीं किया गया.

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पीएसपी पॉलिसी के तहत आवंटित हुई थी कितनी जमीन

इस पॉलिसी के तहत वेव मेगा सिटी सेंटर 1227 करोड़ रुपये  के समकक्ष जमीन रख सकता था यानी 1443 करोड़ रुपये का 15 फीसदी 226 करोड़ रुपये होता है. इतनी राशि की कटौती होती. पीएसपी के मुताबिक 1.07 लाख वर्ग मीटर की आवंटन दर पर वेव मेगा सिटी सेंटर 1.14 लाख वर्ग मीटर जमीन रख सकता था. प्राधिकरण ने इस  प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, डब्ल्यूएमसीसी को  आवंटित भूमि के रूप में 56,400 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया. इसमें कहा गया है कि आवंटन 15% समायोजित करने के बाद 709 करोड़ रुपये की मूल राशि के हिसाब से  किया गया था. अथॉरिटी ने भूमि के इस हिस्से को पूरी तरह से भुगतान किया हुआ माना और उसे  सील नहीं किया गया.

कुल 1443 करोड़ रुपये में से 733 करोड़ रुपये को निर्धारित ब्याज मानकर प्राधिकरण ने यह मामला राज्य सरकार के समक्ष भेज दिया. डब्ल्यूएमसीसी ने अपने ग्राहकों के प्रति प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए साल 2017 में प्राधिकरण से अतिरिक्त 50 हजार वर्ग मीटर जमीन के लिए अनुरोध भी किया, जिसे  मौजूदा बाजार दर  1.60 लाख प्रति वर्ग मीटर के दर से आवंटित किया जाना था. इसके लिए कंपनी ने  20 फीसदी निर्धारित राशि जमा भी कर दिया था.

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अथॉरिटी ने शेष राशि के बदले नहीं किया आवंटन

करीब तीन साल के बाद साल 2020 में नोएडा प्राधिकरण ने खुद शेष राशि 733 करोड़ रुपये के बदले जमीन का आवंटन नहीं करने का फैसला किया. यह कहते हुए कि इस राशि का निर्धारित ब्याज के रूप में भुगतान किया जाता है और इसलिए इसे मूलधन के बराबर नहीं माना जा सकता है. जबकि पीएसपी के तहत केवल दंडात्मक ब्याज को बाहर रखा गया है.

इन तीन साल के दौरान, प्राधिकरण ने अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा के बहाने मास्टर प्लान में नए ड्राइंग/ संशोधन की भी अनुमति नहीं दी. अब, प्राधिकरण ने पीएसपी के लागू होने के पहले  के प्रभावी आधार पर पूरी जमीन का लीज रेंट सहित, मूलधन और ब्याज की मांग की. डब्लूएमसीसी को लेकर सवाल पर वेव इंफ्राटेक के प्रबंध निदेशक राजीव गुप्ता ने कहा कि हम इसपर कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि यह मामला लंबित है. हम खरीददारों के सर्वोत्तम हित के लिए काम कर रहे हैं.

 

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